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60 हजार के बकायेदार पति पर सख्त हुई कोर्ट,जमीन बेंचने पर लगाई रोक* *रिकवरी वारंट व गैर जमानतीय वारंट जारी होने के बाद भी कई पेशियों से भरण-पोषण की बकाया रकम जमा करने में पति करता रहा हीलाहवाली। एकमात्र जमीन भी बेचकर भाग निकलने की कर चुका था तैयारी,पत्नी की अर्जी पर आए कोर्ट के आदेश ने पति की मंशा पर फेरा पानी

*60 हजार के बकायेदार पति पर सख्त हुई कोर्ट,जमीन बेंचने पर लगाई रोक*

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*रिकवरी वारंट व गैर जमानतीय वारंट जारी होने के बाद भी कई पेशियों से भरण-पोषण की बकाया रकम जमा करने में पति करता रहा हीलाहवाली*

*एकमात्र जमीन भी बेचकर भाग निकलने की कर चुका था तैयारी,पत्नी की अर्जी पर आए कोर्ट के आदेश ने पति की मंशा पर फेरा पानी*

*कलावती की अर्जी पर फैमिली कोर्ट जज प्रतिभा नारायण ने पति राममिलन की गारवपुर गांव स्थित जमीन के विक्रय पर लगाई रोक*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। साठ हजार के बकायेदारों पति ने रिकवरी वारंट व एनबीडब्ल्यू जारी होने के बाद भी भरण-पोषण की बकाया रकम पत्नी के हक में नहीं जमा किया ,बल्कि अपनी एकमात्र जमीन को भी चुपके से बेंच कर जिम्मेदारियों से मुंह फेर लेने का मन बना लिया। पीड़ित पत्नी की अर्जी पर फैमिली कोर्ट जज प्रतिभा नारायण ने मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए भरण पोषण की धनराशि न जमा करने एवं अपने नाम की संपत्ति बेचने के फिराक में लगे पति के जरिए किसी के पक्ष में बैनामा करने पर रोक लगा दी है।
मामला लम्भुआ तहसील क्षेत्र के रानीपुर गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले राममिलन का विवाह कुछ वर्षों पूर्व लोहरामऊ क्षेत्र की रहने वाली कलावती के साथ संपन्न हुआ था। लेकिन दोनों के बीच कुछ ऐसी अनबन हो गई कि घर की चारदीवारी के बीच चल रहा विवाद कोर्ट तक पहुंच गया। लिहाजा पत्नी ने अपने पति राममिलन से गुजारा की रकम पाने के लिए अपर प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय की अदालत में उसके खिलाफ याचिका दाखिल कर दी, जिस पर सुनवाई के पश्चात अदालत ने राममिलन को गुजारा की धनराशि जमा करने के लिए आदेशित किया था, हालांकि कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर राममिलन समय पर गुजारा भत्ते की रकम जमा भी नहीं करता था और जमा भी करता था मात्र आधा अंधूरा। पति की इस लापरवाही भरी करतूत से आजिज आकर कलावती ने अपने अधिवक्ता कालिका प्रसाद पांडेय के माध्यम से कोर्ट में बकाया रकम की वसूली को लेकर अर्जी दी,जिस पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने कुछ पेशियों पहले राममिलन के खिलाफ रिकवरी वारंट एवं गैर जमानतीय वारंट जारी कर पुलिस अधीक्षक के माध्यम से कार्रवाई के लिए आदेशित किया था, बावजूद इसके राममिलन पर कोई खास असर नहीं पड़ा और वह पत्नी को बकाया भरण पोषण की रकम देने के बजाय धीरे-धीरे कोर्ट को भी गुमराह कर अपनी बकाया रकम न अदा करने के फिराक में जुट गया और यहां तक कि अपने नाम दर्ज कुछ जमीन को भी बेचने का मन बना लिया। इस बात की भनक कलावती को लगी तो उसने अपने पति राममिलन के नाम गारवपुर ग्राम स्थित जमीन के विक्रय,वसीयतनामा या दानपत्र आदि के हस्तानांतरण पर रोक लगाने की मांग कर दी। कलावती के अधिवक्ता कालिका प्रसाद पांडेय ने कहा कि यही एक मात्र जमीन ऐसी है जो कि कलावती के लिए भविष्य में सहारा बन सकती है,उसे भी राममिलन बेच कर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेना चाहता है। वहीं राममिलन ने कलावती के इस अर्जी पर आपत्ति जाहिर करते हुए अपनी वृद्ध मां को कैंसर की बीमारी से ग्रसित बताते हुए उसके इलाज आदि के लिए जमीन के विक्रय पर रोक न लगाने की मांग की। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात अपर प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय प्रतिभा नारायण ने बार-बार राममिलन के खिलाफ रिकवरी वारंट एवं गैर जमानतीय वारंट जारी होने के बावजूद भी बकाया चल रही 60 हजार की रकम जमा न करने एवं गारवपुर गांव स्थित एक मात्र जमीन को बेचने से पीड़ित कलावती को भविष्य में आने वाली दिक्कतो के दृष्टिगत राममिलन के जरिए अपनी जमीन का किसी के पक्ष में बैनामा करने पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है। अदालत के आदेश से पत्नी को गुजारे के लिए दौड़ा रहे पति को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर की तारीख तय की है।

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