सुल्तानपुर जिले जयसिंहपुर के रेवारी गांव का रहने वाला रणविजय यादव उर्फ हीरो गांधी ने 13 वर्ष पूर्व 17 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर केवल इसलिये आत्मदाह कर लिया था क्यों तत्कालील मुख्यमंत्री मायावती ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को नजर बंद कर दिया था। अपने कार्यकर्त्ता की शहादत के बाद रणविजय उर्फ़ हीरो गांधी का मुलायम सिंह यादव और सपा अखिलेश यादव ने कहने को बराबर सम्मान किया। हर वर्ष शहादत दिवस पर प्रदेश से कोई न कोई बड़ा नेता रेवारी आकर उनके पुण्यतिथि कार्यक्रम में शामिल होता और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देता। लेकिन सपा के बड़े नेताओं के आगे कुर्ता की कृच भी टाइट रखने वाले जिले के नेताओं ने कभी भी इस परिवार का ख्याल नहीं रखा।
सपा शासनकाल में पांचों विधानसभा से यहाँ समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए,। सदर विधानसभा से अखिलेश यादव के सबसे चहेता बताने वाले अरुण वर्मा भी विधायक बने, लेकिन शासन सत्ता में आने के बाद उन्होंने भी इस परिवार का कोई ख्याल नही रखा। ये अलग बात है कि शासन सत्ता में रहते हुये उनपर कई गंभीर आरोप भी लगे। हलांकि आरोप से बरी तो हो गए लेकिन कार्यकर्त्ता का सम्मान क्या होना चाहिये उनके साथ साथ जिले के नेता भी आज तक ये समझ नही सके।
राविवार को हीरो गांधी की पुण्यतिथि में शामिल होने पहुंचे सपा एमएलसी संतोष यादव सनी के सामने ही हीरो के परिजनों ने पूर्व विधायक अरुण वर्मा सहित कई नेताओं को घर में घुसने से ही नही दिया। सपा एमएलसी ने जब परिजनों से बात की तो परिजनों का दर्द छलक उठा। फिर क्या था मंच पर माइक सँभालते हुये एमएलसी संतोष यादव उर्फ सनी ने अपने बड़े नेताओं को बचाते हुये सारा ठीकरा स्थानीय नेताओं पर मढ़ना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि अमेठी में गांधी परिवार के नाम से संस्थायें चल सकती है, सपा में जनेश्वर मिश्र और लोहिया जी के नाम पर योजनाएं चल सकती हैं तो जिस पार्टी के लिये हमारा कार्यकर्त्ता शहीद हुआ उसके नाम पर आज तक कोई योजना या काम क्यों नहीं देखने को मिला। कम से कम सड़क, पार्क कालेज इत्यादि का तो नामकरण किया जा सकता था, लेकिन स्थानीय नेताओं ने यहाँ शर्मशार कर दिया। उन्होंने कहा कि जो कार्यकर्त्ता सामने कुर्सी पर बैठता है वही अपनी मेहनत लगन से सम्मानजनक स्थान पाता है, फ़िलहाल संतोष यादव सनी ने स्थानीय नेताओं को चेतावनी दी है कि भविष्य में जब कभी वे लखनऊ जाएंगे तो हीरो के बलिदान स्वरुप योजनाएं लागू करने की याद जरूर दिलाएंगे। जाते जाते वे स्थानीय लोगों से ये भी कह गए की जब तक हीरो को उसकी शहादत का सम्मान न मिल जाय तब तक न ही स्थानीय नेताओं को बैठने देना , और न ही हमें।