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सुलतानपुर

आखिरकार करोमी प्रधानपति की शिकायत नहीं बैठी फिट,न्यायिक कर्मी ‘फैज आलम’ को मिली क्लीन चिट। अपने खिलाफ उठे आवाज को दबाने के लिए प्रधानपति ने बगैर ठोस आधार के खेला था डर्टी गेम। क्लीन चिट पाये न्यायिक कर्मी ने पिता के ओहदे को गलत दिखाने,कोर्ट में झूठा शपथ पत्र देने व झूठी शिकायत कर सम्मान को ठेस पहुँचाने समेत अन्य मुद्दों को लेकर मानहानि का केस ठोंकने समेत अन्य कार्यवाहियां कराने की कही बात।करोमी प्रधान,उनके पति,तत्कालीन सेक्रेटरी एवं बीडीओ समेत अन्य के खिलाफ सरकारी धन हड़पने के आरोप में हुआ है मुकदमा,अब और भी बढ़ सकती है मुश्किलें

*..आखिरकार करोमी प्रधानपति की शिकायत नहीं बैठी फिट,न्यायिक कर्मी ‘फैज आलम’ को मिली क्लीन चिट*

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*अपने खिलाफ उठे आवाज को दबाने के लिए प्रधानपति ने बगैर ठोस आधार के खेला था डर्टी गेम*

*क्लीन चिट पाये न्यायिक कर्मी ने पिता के ओहदे को गलत दिखाने,कोर्ट में झूठा शपथ पत्र देने व झूठी शिकायत कर सम्मान को ठेस पहुँचाने समेत अन्य मुद्दों को लेकर मानहानि का केस ठोंकने समेत अन्य कार्यवाहियां कराने की कही बात*

*करोमी प्रधान,उनके पति,तत्कालीन सेक्रेटरी एवं बीडीओ समेत अन्य के खिलाफ सरकारी धन हड़पने के आरोप में हुआ है मुकदमा,अब और भी बढ़ सकती है मुश्किलें*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। गांव के विकास कार्यों की आड़ में कागजी खेल कर सरकारी धन हड़पने के गंभीर आरोपों से घिरने के बाद शिकायतकर्ता के न्यायिक कर्मी भाई के खिलाफ ही बगैर किसी ठोस आधार के शिकायत करने वाले प्रधानपति को फिर बड़ा झटका लगा है। दरअसल में जिला समन्वयक की जांच में उम्र सम्बन्धी आरोपो में न्यायिक कर्मी फैज आलम को क्लीन चिट मिल गई है। जिससे झूठी शिकायत कर अपने खिलाफ उठी आवाज को दबाने की साजिश रचने वाले प्रधानपति एवं इस खेल में शामिल अन्य की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। जिन्हें एक जिम्मेदार पद पर बैठे न्यायिक कर्मी के खिलाफ झूठी शिकायत करना काफी मंहगा पड़ सकता है।
मालूम हो कि विकास खंड भदैयाँ क्षेत्र के करोमी गांव की प्रधान शबनम बानो का लगभग सारा कारोबार संभालने वाले उनके पति शान आलम उर्फ बब्बन एवं गांव व ब्लॉक स्तर के जिम्मेदार अफसरों समेत अन्य के खिलाफ ग्राम विकास योजनाओं के नाम पर सरकारी धन के गबन का आरोप लगा है।आरोप के मुताबिक प्रधानपति शानआलम के खिलाफ हत्या सहित अन्य गंभीर मामले चल रहे हैं, जिसकी दबंग एवं आपराधिक छवि के चलते गांव का कोई भी व्यक्ति उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता, लेकिन गांव व क्षेत्र की सेवा में उतरे महताब आलम एवं उनकी प्रेरणा से आगे आये अन्य ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान व उनके पति एवं अन्य संरक्षकों के जरिए किए जा रहे इस खेल के खिलाफ अपनी आवाजे बुलन्द कर दी है,जिसको लेकर महताब व अन्य ने जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक शिकायत कर हड़पे गये धन की जांच,कार्यवाही एवं रिकवरी की मांग की है,अब तक सामने आई कुछ जांचों में कई कमियां सामने आने की जानकारी मिली है और कई जांचे अब भी लम्बित बताई जा रही है। अपने खिलाफ उठी आवाज से इस बीच प्रधान शबनम बानो के परिवार की समस्याएं काफी बढ़ गई है, फिलहाल अभी तक प्रधान परिवार व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के रहमोकरम के चलते कार्यवाही से बचे हुए हैं। गांव के ही शाहिद परवेज ने ग्राम प्रधान शबनम बानो,उसके पति शानआलम उर्फ बब्बन,जेठ तनजीर आलम, तत्कालीन सेक्रेटरी एवं तत्कालीन बीडीओ समेत अन्य जिम्मेदार के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा भी दायर किया है, जिसमें अदालत ने थानाध्यक्ष कोतवाली देहात से आख्या तलब कर सुनवाई के लिए 14 जनवरी की तारीख तय की है। मिली जानकारी के मुताबिक अपने व पत्नी के खिलाफ हुई शिकायतो व केस दायर होने की भनक पाने पर बौखलाए प्रधानपति शानआलम ने शिकायतकर्ता महताब आलम के दीवानी न्यायालय में तैनात बड़े भाई फैज आलम के खिलाफ बगैर किसी ठोस आधार के शिकायत कर एवं कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर दबाव बनाने का भी प्रयास किया। सामने आई बातो के मुताबिक प्रधानपति शानआलम ने न्यायिक कर्मी फैज आलम के खिलाफ की गई शिकायत में वर्ष 2008 की 10 वीं फेल की मार्कशीट में दो माह उम्र कम होने एवं उसी के बाद वर्ष 2009 में 10 वीं पास की मार्कशीट में दो माह की उम्र अधिक दर्ज होने की बात को आधार बनाते हुए फैज आलम के जरिये 28 दिसम्बर वर्ष 2009 को हुई अपने पिता की मृत्यु के बाद पांच वर्ष के भीतर ही नौकरी का लाभ पाने के लिए उम्र में हेरा फेरी करने का आरोप लगाया था। जबकि सामने आये अभिलेखों व अन्य साक्ष्यो के मुताबिक फैज आलम के 10 वीं पास की मार्कशीट पिता हसीब आलम की 28 दिसम्बर 2009 को हुई आकस्मिक मृत्यु के करीब छह माह पूर्व 25 जून 2009 को ही जारी हो चुकी थी,ऐसे में पिता की मृत्यु के पहले ही निर्धारित समय सीमा पांच वर्ष के भीतर साढ़े 16 साल की उम्र में मृतक आश्रित का लाभ पाने के लिए उम्र में किसी प्रकार की हेरा-फेरी करने का कोई सवाल ही नही बनता और न ही ऐसी हेरा फेरी इस स्तर पर सम्भव ही दिख रही है। शिकायतकर्ता शानआलम की बात को यदि सच मान भी लिया जाय तो फैज आलम की उम्र उसके पिता की मृत्यु के समय करीब साढ़े 16 साल की रही, ऐसे में मात्र डेढ़ वर्ष बाद ही वयस्क होने की दशा में जब फैज आलम को निर्धारित समय-सीमा के भीतर ही नौकरी का लाभ मिल जा रहा है तो मात्र दो माह की उम्र में हेरा-फेरी करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। इसके अलावा फैज आलम ने दसवीं पास की जिस मार्कशीट का नौकरी में उपयोग किया है, वही उम्र सही बताई जा रही है,जिसके संबंध में काफी सबूत भी फैज आलम के पास मौजूद है। फैज आलम के आरोप के मुताबिक मात्र अपने खिलाफ हुई शिकायतों को वापस लेने का दबाव बनाने एवं क्षेत्रवासियों में झूठी अफवाह फैलाने की मंशा से प्रधान शबनम बानो के पति शान आलम के जरिए झूठे शिकायत की गई थी। सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक जिला विद्यालय निरीक्षक के निर्देश पर जांच कर रहे जिला समन्वयक राकेश सिंह की जांच में फैज आलम को क्लीन चिट मिली है। बल्कि 10 वीं पास के पूर्व सामने आई ओवरराइटिंग में जानबूझकर विद्यालय प्रशासन के जरिये गड़बड़ी करने की बात सामने आ रही है,जिसमे विद्यालय में तैनात प्रधानपति के कुछ करीबियों की ही साजिश मानी जा रही है,ऐसे में प्रधानपति की अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर कुछ प्रतिबंधित अभिलेख भी विद्यालय प्रशासन के जरिये आरोपी प्रधानपति शान आलम के सुपुर्द करने की बात सामने आई है,जिसका प्रयोग भी शान आलम के जरिये हुई शिकायतो में किये जाने से इस बात की पुष्टी भी हो चुकी है। ऐसे में शान आलम के साथ साथ विद्यालय प्रशासन के कई जिम्मेदार भी साजिश में फंसते नजर आ रहे है। जिसकी वजह से गंभीर आरोपों से पहले ही घिर चुके प्रधानपति शान आलम के परिवार व इससे जुड़े अन्य की दिक्कतो में एक और नई समस्या जुड़ गई है। न्यायिक कर्मी फैज आलम ने अपने पिता के ओहदे को सही न दर्शाकर एवं झूठी शिकायत कर सम्मान को ठेस पहुँचाने व कोर्ट में झूठा शपथ पत्र दाखिल करने वाले प्रधानपति के खिलाफ मानहानि का दावा ठोकने समेत अन्य कार्यवाहियों को अपनाने व इस खेल में शामिल अन्य के खिलाफ विधिक कार्यवाही अपनाने की बात कही है। ऐसे में सामने आई बातो से झूठ का खेल रचकर डर्टी गेम करने वाले साजिशकर्ताओ को फिर एक बार मुंह की खानी पड़ी है।

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