*पश्चिम बंगाल के ‘विधान’ को कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या में सुनाई आठ वर्ष के कारावास व अर्थदंड की सजा*
*सात वर्ष पूर्व रुपयों के लेन-देन व कहासुनी को लेकर विधान उर्फ बंगाली ने ढाबा मालिक व साथ सो रहे युवक पर कुल्हाड़ी से किया था हमला,इलाज के दौरान हो गई थी युवक रामबहादुर की मौत*
*जेल जाने के बाद आज तक नही हो सकी विधान उर्फ बंगाली की जमानत,सात साल से अधिक काट चुका है जेल*
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। रुपयों के लेन-देन व कहासुनी को लेकर कुल्हाड़ी से वार कर युवक को मौत के घाट उतारने के मामले में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट-द्वितीय ने आरोपी विधान उर्फ बंगाली को दोषी ठहराया है। जिसे न्यायाधीश पूनम सिंह ने आठ वर्ष के कारावास एवं आठ हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
मामला मुसाफिरखाना थाना क्षेत्र के पूरे घुप्पा पांडेय पूरे सरैया बिसेन गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले अभियोगी इस्तिखार ने एक जून 2013 की घटना बताते हुए मुसाफिरखाना थाने में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक मामूली कहासुनी के चलते आरोपी विधान उर्फ बंगाली निवासी पंचनी, जिला-मालदा-पश्चिम बंगाल जो कि खड़सा-अलीगंज स्थित मुस्कान ढाबे पर काम करता था,उसने वादी के चाचा ढाबा मालिक इसरार व साथ मे ही काम करने वाले बगल में सो रहे रामबहादुर पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया,जिसमे आई चोटो के चलते इलाज के दौरान रामबहादुर की मौत हो गई। वारदात को अंजाम देने के पीछे
रुपयों के लेन-देन व सुपारी मांगने को लेकर पूर्व में हुई कहासुनी की बात सामने आई। इस मामले में आरोपी विधान उर्फ बंगाली को गिरफ्तार कर आठ नवम्बर 2013 को जेल भेजने की कार्यवाही की गई,जो आज तक ढंग से जमानत की पैरवी ही नही कर सका और न ही उसका कोई अपना इसकी पैरवी के लिए खड़ा हुआ,नतीजतन वह अब तक जेल की सलाखों में ही जिंदगी काटता रहा और मामले का ट्रायल भी पूरा हो गया। मामले का विचारण एफटीसी द्वितीय की अदालत में चला। इस दौरान बचाव पक्ष की पैरवी के लिए नियुक्त न्यायमित्र ने आरोपी विधान को बेकसूर बताया और उसकी मानसिक दशा ठीक न जाहिर करते हुए उचित फैसले की मांग की। वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार दूबे ने अभियोजन पक्ष से पेश सात गवाहों व अन्य साक्ष्यो के आधार पर अपराध को साबित बताते हुए अधिकतम सजा से दण्डित किये जाने की अदालत से मांग की। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात न्यायाधीश पूनम सिंह ने आरोपी विधान को गैर इरादतन हत्या सहित अन्य आरोपो में दोषी ठहराया। जिसे अदालत ने आठ वर्ष के कारावास एवं आठ हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। मालूम हो कि इस मामले से जुड़े साक्षियों को गवाही के लिए अदालत तक पहुंचाने में एफटीसी कोर्ट पर तैनात कोर्ट मुहर्रिर राजनाथ यादव ने अहम भूमिका निभाई,जिन्होंने इस मामले के अलावा अन्य मामलों में भी अपनी तैनाती के बाद से ही लगातार जिम्मेदारी पूर्वक दायित्वों का निर्वहन कर अपराधियो को उनकी करनी के अंजाम तक पहुंचाने में अभियोजन की काफी मदद की।