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क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम से लाखों हड़प चुके संस्था-मंत्री ने फिर शुरू किया हेरा-फेरी का खेल।करीब छह वर्ष पूर्व मंत्री सतीशचन्द्र उपाध्याय 4.22 लाख का गबन करने में जा चुके हैं जेल।मनमाने तरीके से बगैर बहुमत के ट्रस्टी सदस्य एवं संचालक बनाने की मंशा न पूरी होने पर बैठक से लेकर भागे अभिलेख।श्री गांधी आश्रम संस्था से वेतन उठा रहे कर्मी से अपनी निजी संस्था सागर आश्रम सेवा समिति-कादीपुर पर कार्य कराने एवं अन्य हेराफेरी करने का है आरोप।संस्था के पदाधिकारियों ने गम्भीर आरोप लगाते हुए की मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की एसपी समेत अन्य से की मांग

*क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम से लाखों हड़प चुके संस्था-मंत्री ने फिर शुरू किया हेरा-फेरी का खेल*

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*करीब छह वर्ष पूर्व मंत्री सतीशचन्द्र उपाध्याय 4.22 लाख का गबन करने में जा चुके हैं जेल*

*मनमाने तरीके से बगैर बहुमत के ट्रस्टी सदस्य एवं संचालक बनाने की मंशा न पूरी होने पर बैठक से लेकर भागे अभिलेख*

*श्री गांधी आश्रम संस्था से वेतन उठा रहे कर्मी से अपनी निजी संस्था सागर आश्रम सेवा समिति-कादीपुर पर कार्य कराने एवं अन्य हेराफेरी करने का है आरोप*

*संस्था के पदाधिकारियों ने गम्भीर आरोप लगाते हुए की मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की एसपी समेत अन्य से की मांग*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम में फर्जीवाड़ा कर करीब छह वर्ष पूर्व सवा चार लाख रूपए का गबन कर लेने वाले केन्द्र प्रभारी एवं संस्था के मौजूदा मंत्री फिर गम्भीर आरोपों से घिर गए हैं। जिन पर श्री गांधी आश्रम संस्था वेतन उठाने वाले कर्मियों से अपनी निजी संस्था का कार्य कराने एवं अन्य अनियमितताओं को बरतकर हेरा-फेरी करने का आरोप लगा है। इसके अलावा संस्था की बैठक में मनमाने तरीके से ट्रस्टी सदस्य व संचालक को मनोनीत करने का प्रयास भी संस्था के मंत्री के जरिए किया गया। जिस पर दो तिहाई कमेटी के सदस्य विरोध करने लगे तो मंत्री मिनिट बुक एवं अन्य जरूरी अभिलेख लेकर फरार हो गए, जो कि दो दिनों से संस्था के करीब आने के बजाय अपनी कमी खुल जाने की वजह से भागे-भागे फिर रहे हैं। इस हेरा-फेरी के सम्बंध में कमेटी के पदाधिकारियों ने एसपी समेत अन्य से मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की मांग की है।
मामला शहर स्थित सिविल लाइन (कुड़वार नाका) इलाके से जुड़ा है। जहां पर स्थित क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम में मंत्री पद पर जमें मिर्जापुर जिले के सबेसर-कछवा के रहने वाले सतीशचन्द्र उपाध्याय पर पूर्व में तो गम्भीर आरोप लगे ही थे, जिसके सम्बंध में मुकदमा भी जिला न्यायालय में चल रहा है, लेकिन गबन के आरोप में पहले से ही घिर चुके सतीशचन्द्र उपाध्याय के हेराफेरी का सिलसिला यही खत्म नहीं हुआ बल्कि अब नया कारनामा सामने आया है। बताया जा रहा है कि बीते 24 नवम्बर को वर्तमान सत्र की बैठक चली, जिसमें संस्था के ट्रस्टी सदस्य एवं संचालक पद पर चुनाव समेत अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा कर उसकी कार्यवाही पूरी की जानी थी। बताया जा रहा है कि संस्था के कार्यवाहक अध्यक्ष व ट्रस्टी सदस्य धर्मराज गौतम, ट्रस्टी सदस्य- राजेन्द्र प्रसाद पांडेय, दुर्गा प्रसाद तिवारी, सदस्य- मार्कण्डेय पांडेय, सतीश कुमार शुक्ल, कत्तिन सदस्य- सरवरी बेगम,संस्था पदाधिकारी शम्भूदयाल, श्यामबहादुर पाण्डेय एवं मंत्री सतीशचन्द्र उपाध्याय की मौजूदगी में बहुमत के आधार पर रामतीरथ चौरसिया को सामान्य सभा का सदस्य चुना गया। इसी के बाद ट्रस्टी सदस्य पद का चुनाव होना था। जिसमें संस्था के दो तिहाई सदस्य दूसरे को ट्रस्टी सदस्य बनाना चाहते थे, जबकि मंत्री सतीशचन्द्र उपाध्याय अवैध तरीके से बगैर बहुमत प्राप्त किए ही अपने चहेते शिवकुमार चौबे को ट्रस्टी सदस्य बनाना चाहते थे और उन्हीें को ही संचालक का भी अतिरिक्त प्रभार दिलाना चाहते थे। मंत्री सतीशचन्द्र उपाध्याय की इस मंशा पर मात्र दो सदस्य ही अपनी रजामंदी दे रहे थे, शेष छह संस्था के पदाधिकारी शिव कुमार चौबे का विरोध कर रहे थे। ऐसे में अपने मन-मुताबिक कार्य न होता देख मंत्री सतीशचन्द्र उपाध्याय क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम की महत्तवपूर्ण मानी जानी वाली मिनिट बुक एवं अन्य जरूरतमंद अभिलेख ही लेकर वहां से फरार हो गए। आरोपों के मुताबिक उन्होंने आश्रम के रिकार्ड में हेरा-फेरी बड़े स्तर पर की है और काफी धन भी हड़प लिए है,इन्हीं कमियों पर पर्दा डालने के लिए वे आवश्यक अभिलेख लेकर भागते समय जल्दबाजी में अपनी मोटर साइकिल तक को भी छोड़कर फरार हो गये, जिसे बाद में उनकी पत्नी व बच्चों के जरिये ले जाने की बात सामने आ रही है। बैठक में उनकी मनमानी को लेकर उठे विवाद के बाद वह संस्था के करीब आने के बजाय भागे-भागे फिर रहे हैं। विदित हो कि मंत्री सतीशचन्द्र उपाध्याय इसके पूर्व में करीब छह वर्ष पहले 2014 में बेलहरी-बरौंसा बाजार स्थित क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम पर केन्द्र प्रभारी रहे, जिन्होंने अप्रैल 2014 से नवम्बर 2014 तक आडिट रिपोर्ट एवं स्टाॅक में हेराफेरी कर संस्था के करीब 4.22 लाख रूपए का गबन कर लिया था। जिसके सम्बंध में व्यवस्थापक जयप्रकाश सिंह ने जयसिंहपुर थाने में 14 जनवरी 2015 को गबन का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें तफ्तीश के बाद पुलिस ने गबन का आरोप साबित पाते हुए आरोप पत्र भी सतीशचन्द्र उपाध्याय के खिलाफ दाखिल किया है। इस मामले में सतीशचन्द्र उपाध्याय कई महीनों जेल भी काट चुके हैं। जिसका प्रकरण अभी जिला न्यायालय में विचाराधीन है। इसके अलावा मंत्री सतीशचन्द्र उपाध्याय के जरिए क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम की आड़ में अपनी निजी संस्था सागर आश्रम सेवा समिति-कादीपुर पर गांधी आश्रम के धन पर नौकरी करने वाले कर्मचारी से काम लेने एवं अन्य तरीके के लाभ कमाने का भी आरोप लगा है। इस तरह से संस्था के पदाधिकारियों ने मंत्री सतीशचन्द्र उपाध्याय के खिलाफ गम्भीर आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक एवं संस्था के उच्चाधिकारियों से कार्यवाही की मांग की है,जिससे मंत्री सतीश चंद्र उपाध्याय की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।

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