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लखनऊ सुल्तानपुर

हाईकोर्ट ने सीओ कादीपुर व कोतवाल के जवाब पर जताया असंतोष,फ्रेश एफिडेविट के साथ पुनः किया तलब।आज सीओ कादीपुर सुरेन्द्र कुमार व तत्कालीन कोतवाल अखण्डनगर बीएस यादव हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से हुए थे तलब।जस्टिस विकास कुंवर श्रीवास्तव की बेंच ने दोनों अधिकारियों की एफिडेविट पर असंतोष व्यक्त करते हुए 24 नवम्बर के लिए पुनः किया तलब

*हाईकोर्ट ने सीओ कादीपुर व कोतवाल के जवाब पर जताया असंतोष,फ्रेश एफिडेविट के साथ पुनः किया तलब*

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*आज सीओ कादीपुर सुरेन्द्र कुमार व तत्कालीन कोतवाल अखण्डनगर बीएस यादव हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से हुए थे तलब*

*जस्टिस विकास कुंवर श्रीवास्तव की बेंच ने दोनों अधिकारियों की एफिडेविट पर असंतोष व्यक्त करते हुए 24 नवम्बर के लिए पुनः किया तलब*

*हाईकोर्ट के सख्त तेवर ने बढ़ाई सीओ सुरेंद्र व कोतवाल बीएस यादव की मुश्किलें*

*मर्डर केस में धाराओं में हुए खेल पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने आज के लिए किया था तलब*

*करीब पांच माह पहले हत्या व लूट के केस में आरोपी सुजीत व विवेक के खिलाफ मात्र भादवि की धारा-34 व 120 बी में दाखिल कर दी थी चार्जशीट,बाद में हुई अग्रिम तफ्तीश*

*विवेचक से लेकर अन्य जिम्मेदार अफसर आंख मूंद कर करते रहे काम,किसी ने नही दिया ध्यान,हाईकोर्ट ने गलती पर लिया संज्ञान*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। शिवनारायण हत्याकांड में अखंडनगर थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक एवं अन्य जिम्मेदारों के जरिए धाराओं में हुए खेल को नजरअंदाज किया गया। मामला कई अधिकारियों की निगाहो के सामने से गुजरा, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद कर सब कुछ करते चले गये और किसी ने भी इस गलती पर ध्यान नहीं दिया। हाईकोर्ट ने इस गलती पर संज्ञान लेते हुए आज के लिए विवेचनाधिकारी एवं क्षेत्राधिकारी कादीपुर को व्यक्तिगत रूप से तलब कर शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा था। हाईकोर्ट में तलब हुए दोनों पुलिस अधिकारियों के जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए फ्रेश एफिडेविट के साथ आगामी 24 नवम्बर के लिए पुनः हाईकोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। हाईकोर्ट के कड़े रुख से इन अधिकारियों के लिए मुश्किलें खड़ी होती नजर आ रही है।

मालूम हो कि अखंडनगर थाना क्षेत्र के बरामदपुर के रहने वाले शिवनारायण यादव उर्फ मनीराम 31 अक्टूबर 2019 की शाम को निमंत्रण देकर वापस घर आ रहे थे, रास्ते में शौच के लिए वह रुक गए। इसी दौरान बाइक सवार बदमाशों ने उन्हें गोली मार कर घायल कर दिया और उनकी मोबाइल भी छीन लिया। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी फरार हो गए। घायल अवस्था में शिवनारायण को इलाज के लिए ले जाया गया, जिनकी ट्रामा सेंटर-लखनऊ में इलाज के दौरान मौत हो गई। इस मामले में मृतक के भतीजे रामप्रसाद यादव की तहरीर पर अज्ञात लोगों के विरुद्ध हत्या के प्रयास में मुकदमा दर्ज हुआ। इलाज के दौरान शिवनारायण की मृत्यु के बाद भादवि की धारा-302 की बढ़ोतरी करते हुए पुलिस ने अपनी जांच शुरू की। तफ्तीश के दौरान आरोपी विवेक सिंह,सुरजीत सिंह उर्फ सुजीत, शिवम सिंह, शुभम सिंह निवासी गण बाँधगांव थाना सरपतहा, जिला जौनपुर एवं विश्वनारायण पाठक उर्फ मोनू निवासी पठकौली थाना सरपतहा, जिला जौनपुर का नाम प्रकाश में आया। प्रकरण की तफ्तीश कर रहे तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक बेचू सिंह यादव ने आरोपी विश्व नारायण पाठक,शिवम सिंह व शुभम सिंह के खिलाफ हत्या व लूट समेत अन्य धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया और अन्य आरोपियों के प्रति विवेचना प्रचलित दिखाई। कुछ दिनों के बाद आरोपी विवेक सिंह के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया गया, लेकिन उसके खिलाफ हत्या व लूट की धारा नहीं लगाई गई, बल्कि मात्र भादवि की धारा 34 व 120 बी में आरोप पत्र दाखिल किया गया। इसके अलावा बेचू सिंह यादव ने सुजीत उर्फ सुरजीत सिंह के साथ भी यही सूत्र अपनाते हुए मात्र भादवि की धारा 34 व 120 बी में आरोप पत्र दाखिल किया और उन्हें भादवि की धारा-302 व 394 से बचाए रखा। जिम्मेदार पुलिस अफसरों की सह से धाराओं में खेल कर करीब पांच माह पूर्व मात्र हल्की धाराओं में दोनों आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया गया था, इसी मामले में सुरजीत सिंह को सेशन कोर्ट से जमानत में राहत नहीं मिली तो उसकी ओर से हाईकोर्ट में जमानत याचिका प्रस्तुत की गई। जिस पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पुलिस के जरिये तैयार अभिलेख देखे तो हाईकोर्ट भी पुलिस की यह करतूत देखकर दंग रह गई। आरोपी सुरजीत सिंह की जमानत पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने हत्या व लूट की मुख्य धाराओं से आरोपी सुरजीत सिंह का नाम हटाकर मात्र दूसरी धाराओं पर आधारित धारा-34 व 120 बी में आरोप पत्र दाखिल करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए यह जवाब मांगा कि आखिर कैसे आरोपियों के विरुद्ध इन धाराओं में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। हाईकोर्ट ने मामले में विवेचनाधिकारी एवं संबंधित क्षेत्राधिकारी को गलत ढंग से दाखिल किए गए चार्जशीट की वजह के संबंध में व्यक्तिगत रूप से शपथ पत्र के साथ तलब होने का आदेश देते हुए जवाब मांगा था। हाईकोर्ट ने यह आदेश बीते दो नवम्बर को पारित किया था और सुनवाई के लिए 17 नवम्बर की तारीख तय की थी। जिसके बाद हरकत में आए तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक बेचू सिंह यादव जिन्हें मौजूदा समय में जयसिंहपुर का कोतवाल बनाया गया है, उन्होंने हाईकोर्ट के कड़े रुख पर अपने जरिये किए गए धाराओं में खेल को सुधारने के लिए एसपी से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-173(8) के अंतर्गत अग्रिम विवेचना की मांग की। जिस पर एसपी के जरिये बिना किसी देरी के मौजूदा अखंडनगर थाने के प्रभारी निरीक्षक संजय सिंह को कोर्ट से अनुमति लेकर अग्रिम विवेचना के लिए निर्देशित किया गया। एसपी के निर्देश पर वर्तमान अखण्ड नगर प्रभारी निरीक्षक संजय सिंह ने तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक बेचू सिंह यादव के जरिए किए गए खेल में सुधार के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में अर्जी दी। कोर्ट ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम विवेचना की अनुमति देना उचित मानते हुए आदेशित किया। कोर्ट के आदेश के क्रम में प्रभारी निरीक्षक संजय सिंह ने सुरजीत सिंह व विवेक सिंह के प्रति हुए धाराओं में खेल में सुधार कर मात्र कुछ ही समय में तफ्तीश पूरी कर दी और दोनों आरोपियों के विरुद्ध भादवि की धारा 34 व 120 बी के अलावा 302 व 394 में भी आरोपपत्र सीजेएम कोर्ट में दाखिल कर दिया। जिस पर सीजेएम कोर्ट ने बीते 13 नवम्बर को संज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए आज 17 नवम्बर की तारीख तय की थी ,जिस पर कोतवाल बेचू सिंह यादव एवं सीओ कादीपुर सुरेंद्र कुमार आज हाईकोर्ट में तलब हुए और अपनी सफाई पेश करते हुए एफिडेविट के साथ जवाब पेश किया। फिलहाल हाईकोर्ट जज विकास कुंवर श्रीवास्तव की बेंच ने इनके जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए पुनः आगामी 24 नवम्बर के लिए दोनों को व्यक्तिगत रूप से फ्रेश एफिडेविट के साथ तलब किया है। हाईकोर्ट के जरिये इस मामले में संज्ञान लेने से पुलिस के सेक्शन गेम का भंडाफोड़ हो गया है,जिससे उनकी मुश्किलें कम होती नजर नही आ रही है।

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