-सूबे की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। लेकिन इन प्रयासों पर अस्पताल कितना खरा उतर रहे हैं इसकी बानगी देखना हो तो सुल्तानपुर आइए। यहां इमरजेंसी वार्ड की हालत बद से बदतर है। इलाज के लिए यहां पर्याप्त बेड की व्यवस्था नहीं है लिहाजा मरीजों को जमीन में लेटकर अपना इलाज करवाना पड़ रहा है। देखिए ये रिपोर्ट
ये नजारा है सुल्तानपुर के राजकीय जिला अस्पताल का। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में सुल्तानपुर की सांसद मेनका गांधी के साथ साथ जिले के तमाम जनप्रतिनिधियों ने इसके भरपूर प्रयास किया तब कही जाकर इसे मेडिकल कालेज का दर्जा दिया गया। लेकिन इसके बावजूद यहां के इमर्जेसी वार्ड की हालत बद से बदतर है। हाल ये है कि जैसे ही मरीजों को संख्या दो चार बढ़ती है तो यहां बेड की कमी हो जाती है। ऐसे में बेचारे मरीज जमीन पर ही लेटकर अपना इलाज करवाने को मजबूर हैं। आप खुद इमरजेंसी वार्ड की हालत देखिए की यहां मरीजों को बेड हो नही उपलब्ध हैं। एक दो नहीं , तीन तीन मरीज इस इमरजेंसी वार्ड में जमीन पर लेटे हुए हैं और अपना इलाज करवा रहे हैं। अपने मरीज का इलाज करवाने वाले तीमारदारों ने आरोप लगाया कि जिसकी पहुंच है उसे बेड मिल जा रहा है , और जो आम इंसान है वो जमीन पर अपने मरीज का इलाज करवाने को मजबूर है।
इस बारे में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर की माने तो परिजन उन्हे लाकर जमीन पर लिटा दिए हैं। जब उनका चेकप होगा तभी पता चलेगा कि उन्हें क्या दिक्कत है। वहीं मरीजों को बेड न उपलब्ध होने के सवाल पर वे अपना बचाव करते नजर आए।
वहीं किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि जिला अस्पताल की हालत बद से बदतर है। डॉक्टर यहां के बजाय अपने नर्सिंग होम में मिलते हैं। जब डॉक्टर अस्पताल आते हैं उनके साथ कुछ बाहरी लोग भी आते हैं, जो यहां के बजाय अच्छा ट्रीटमेंट कहने की बात कहकर अपने नर्सिंग होम में ले जाते हैं।
वहीं जब इस मामले में मुख्य चिकित्साधीक्षक की माने तो अस्पताल में बेड की कमी है। तात्कालिक इलाज के लिए कुछ अन्य बेड उपलब्ध करवाए गए थे, स्ट्रेचर की भी व्यवस्था करवाई गई थी, लेकिन जब अचानक मरीज बढ़ जाते हैं तो ये हाल हो जाता है।