रिपोर्ट- अंकुश यादव
सुल्तानपुर में पिछले दिनों आये एक अदालती फैसले ने सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। हाल ये है कि सजा के इस फैसले से जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह, उनके ब्लाक प्रमुख पति शिवकुमार सिंह, इसौली के पूर्व बाहुबली विधायक चंद्र भद्र सिंह सोनू और उनके ब्लाक प्रमुख भाई यशभद्र सिंह मोनू पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अब लोगों का कयास इस पर है कि क्या इनके पद बरकरार रहेंगे या फिर उन्हें छोड़ना पड़ सकता है।
दरअसल वर्ष 2016 में धनपतगंज ब्लाक में प्रमुख पद के लिये नामांकन हो रहा था। इस चुनाव में नीलम कोरी और जानकी देवी चुनाव मैदान में आमने सामने थी। इसी नामांकन के दौरान की घटना बताते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह ने इसौली के पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह सोनू, उनके भाई यशभद्र सिंह मोनू सहित 5 लोगों पर गंभीर धाराओ में मुकदमा दर्ज करवाया था, वहीं चन्द्रभद्र सिंह सोनू पक्ष ने ऊषा सिंह, उनके पति शिवकुमार सिंह सहित आधा दर्जन से अधिक लोगों पर केस दर्ज करवाया गया था। ये मामला एमपी- एमएलए कोर्ट में चल रहा था। सुनवाई के दौरान बीते शुक्रवार को एमपी एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाते हुये दोनों पक्षों के लोगों को दो-दो वर्ष के कारावास व दो-दो हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। सजा पाने वालों में जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिह उनके ब्लाक प्रमुख पति शिवकुमार सिंह, ब्लाक प्रमुख यशभद्र सिंह मोनू भी शामिल है। अब चर्चा इस बात की है कि दो साल की सजा होने के बाद क्या ये सभी वर्तमान पद पर आसीन रह सकते हैं या इनकी कुर्सी जाएगी। वैसे अभी एक महीना पहले ही मुजफ्फरनगर जिला स्थित खतौली विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक विक्रम सिंह को एमपी एमएलए कोर्ट मुजफ्फरनगर ने कुछ धाराओं में दोषी करार देते हुए मात्र 2 वर्ष के कारावास एवं 5000 अर्थदंड की सजा सुनाई थी, जिसके पश्चात सुप्रीम कोर्ट के जरिए 10 जुलाई 2013 को आए एक निर्णय का हवाला देते हुए भारत निर्वाचन आयोग के पत्र पर विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव ने उन्हें विधायक पद पर बने रहने के अयोग्य बताते हुए पत्र जारी कर उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी और विधानसभा रिक्त हो गई
थी। ठीक वैसे ही सुलतानपुर कोर्ट के फैसले में दो साल की सजा हुई है। ऐसे में कुर्सी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। बहरहाल इस मामले में अधिवक्ताओ ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है, आप भी सुनिये …..