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सुल्तानपुर

मंगीता’ मौत कांड में जिला जज ने पलटा सीजेएम कोर्ट का फैसला,एफआईआर दर्ज कर विवेचना कराने के सम्बंध में उचित आदेश पारित करने का दिया निर्देश। सीजेएम कोर्ट ने पुलिस के जरिये भेजी गई विस्तृत रिपोर्ट व उसमे दर्शाए गये मनमाने तथ्यों को आधार मानकर मुकदमा दर्ज कर जांच कराने सम्बन्धी पड़ी अर्जी को कर दिया था खारिज,भाई ने दी थी चुनौघटना के करीब ढाई माह बाद शव खोदकर डीएम रवीश गुप्ता के आदेश पर हुआ था री-पोस्टमार्टम,मृतका के भाई ने पहली पीएम रिपोर्ट को किया था चैलेंज।

*’मंगीता’ मौत कांड में जिला जज ने पलटा सीजेएम कोर्ट का फैसला,एफआईआर दर्ज कर विवेचना कराने के सम्बंध में उचित आदेश पारित करने का दिया निर्देश*

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*सीजेएम कोर्ट ने पुलिस के जरिये भेजी गई विस्तृत रिपोर्ट व उसमे दर्शाए गये मनमाने तथ्यों को आधार मानकर मुकदमा दर्ज कर जांच कराने सम्बन्धी पड़ी अर्जी को कर दिया था खारिज,भाई ने दी थी चुनौती*

*घटना के करीब ढाई माह बाद शव खोदकर डीएम रवीश गुप्ता के आदेश पर हुआ था री-पोस्टमार्टम,मृतका के भाई ने पहली पीएम रिपोर्ट को किया था चैलेंज*

*तहरीर मिलने के बाद भी तत्कालीन नगर कोतवाल भूपेंद्र सिंह व कुछ पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से नहीं दर्ज हो पाया था मुकदमा,आरोपियो को बेकसूर बताने की मंशा से कोर्ट में भेजी थी विस्तृत रिपोर्ट,भूमिका पर उठा था सवाल*

*बगैर पोस्टमार्टम कराये शव को जलाना चाहता था आरोपी पक्ष,विरोध के उपरांत हुए पीएम के बाद भी शव को जला देना चाहते थे आरोपी,मायके वालों के विरोध पर गाड़ी गई थी लाश*

*कोतवाली नगर क्षेत्र के पयागीपुर इलाके में ठीक एक वर्ष पूर्व संदिग्ध परिस्थितियों हुई थी मंगीता की मौत,आरोपी पति का फिर से पहली पत्नी के सम्पर्क में आना बनी थी विवाद की वजह*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। दूसरी पत्नी के साथ तेरह वर्ष गुजारने के बाद भी पहली पत्नी के पुनः संपर्क में आने के वजह से उठे विवाद के बाद ही संदिग्ध परिस्थितियों में हुई ‘मंगीता’ की मौत के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश संतोष राय की अदालत ने पांच महीना पूर्व हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को निरस्त कर पलट दिया है। जिला जज ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच करने संबंधी उचित आदेश पारित करने के बावत अधीनस्थ न्यायालय को निर्देशित किया है।
मामला कोतवाली नगर क्षेत्र स्थित पयागीपुर इलाके का है। जहां के रहने वाले राम कुमार के साथ मृतका के भाई सुनील कुमार निवासी सडाव थाना धनपतगंज ने घटना से करीब 13 वर्ष पूर्व अपनी बहन मंगीता की शादी कराई थी। रामकुमार के जीवन में मंगीता के आने के बाद दो बच्चे भी पैदा हुए। अभियोगी सुनील के आरोप के मुताबिक उसकी बहन मंगीता की शादी रामकुमार से होने के पहले रामकुमार की पूर्व में एक शादी और हुई थी लेकिन पहली पत्नी से छूटी-छूटा होने के बाद उसकी बहन की शादी हुई। आरोप के मुताबिक इतने वर्ष गुजरने के बाद भी रामकुमार फिर से पहली पत्नी के संपर्क में आ गया था और इसी बात को लेकर उसकी बहन मंगीता व रामकुमार के बीच अक्सर विवाद हुआ करता था। मंगीता, रामकुमार के इस कृत्य पर रोक लगाने का प्रयास करती थी तो ससुरालीजन रामकिशोर,देवी प्रसाद, सास रामकृपाली,ननद भगवंता और मालती भी आरोपी रामकुमार का ही पक्ष लेते थे और उस पर रोक लगाने के बजाय उसे बढ़ावा देते रहें। आरोप के मुताबिक इसी बीच 13 मार्च 2021 को मंगीता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई,जिसकी मौत सामान्य नहीं दिख रही थी। जिसके बावजूद ससुरालीजनों ने मंगीता के शव का बगैर पोस्टमार्टम कराए ही अंतिम संस्कार करने का फैसला ले लिया और क्षेत्र के कुछ प्रभावशाली लोगों की मदद से पुलिस को भी मैनेज कर लिया। फिलहाल मृतका के भाई सुनील को जब यह बात पता चली तो उसने विरोध किया,जिसकी वजह से नतीजतन पुलिस को शव का पोस्टमार्टम कराना ही पड़ा। आरोप के मुताबिक आरोपियों व उसके पैरवकारों के प्रभाव में पोस्टमार्टम भी निष्पक्ष तरीके से न करने का संदेह बना रहा। मृतका के भाई के मुताबिक आरोपी पक्ष के जरिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट अपने प्रभाव में तैयार कराने का पूर्ण सन्देह था, जिसकी वजह से ही ससुरालीजन पुनः साक्ष्य खत्म कर देने की मंशा से शव को जलाकर अंतिम संस्कार कर देना चाह रहे थे, लेकिन अभियोगी सुनील के विरोध पर शव को जलाने के बजाय दफनाया गया। जिसके बाद सुनील ने डीएम रवीश गुप्ता को प्रार्थना पत्र के साथ मृतका की फोटो एवं अन्य मौजूद साक्ष्य देकर पहली पीएम रिपोर्ट को संदिग्ध बताकर री-पोस्टमार्टम कराने की मांग की। री-पोस्टमार्टम की प्रक्रिया होते-होते करीब ढाई माह लग गए, जिसके बाद तीन जून 2021 को मंगीता के शव का री-पोस्टमार्टम हुआ। इस मामले में शुरू से ही अपनी बहन मंगीता के मौत का जिम्मेदार आरोपी ससुरालीजनों को ठहराते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर निष्पक्ष जांच करने को लेकर सुनील पुलिस के चक्कर काटता रहा, लेकिन काफी दौड़ाने के बाद भी तत्कालीन नगर कोतवाल भूपेंद्र सिंह एवं पीछे से सपोर्ट कर रहे कुछ पुलिस अधिकारियों की सह की वजह से मुकदमा नहीं दर्ज हो सका। थाने से सुनवाई न होने पर सुनील ने न्याय पाने के लिए कोर्ट की शरण ली। कोर्ट में पड़ी अर्जी के क्रम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने नगर कोतवाल से घटना के संबंध में आख्या मांगी। जिस पर पुलिस की ओर से घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज करने अथवा न करने सम्बन्धी आख्या भेजने के बजाय आरोपियों को बेकसूर साबित करने की मंशा से पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई वाह्य चोटें न पाए जाने,मृतका के बच्चों का मनमाना बयान दर्ज कर घटना के पूर्व कोई विवाद न होने,जांच में कोई साक्ष्य न मिलने और री-पोस्टमार्टम होने के बाद विसरा रिपोर्ट न आने तक कार्रवाई लम्बित रहने संबंधी विस्तृत भ्रामक रिपोर्ट कोर्ट को भेज दी। जिसके पश्चात सीजेएम कोर्ट ने बीते आठ अक्टूबर को प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करने के पश्चात पुलिस की रिपोर्ट को ज्यादा महत्व देकर सुनील की तरफ से पड़ी अर्जी को खारिज कर दिया था। सीजेएम कोर्ट के इस आदेश को सुनील ने जिला जज की अदालत में चुनौती दी थी। जिला जज ने सीजेएम कोर्ट के जरिए किए गए फैसले को पलटते हुए उनके आदेश को निरस्त कर दिया है और वाह्य चोटें न आने की दशा में भी मृत्यु कारित करने के कई सम्भव तरीके होने व पुलिस की रिपोर्ट में कई कमियां बताने सहित अन्य कई बिंदुओं पर उचित निर्देश देते हुए मामले में मुकदमा दर्ज कराने व निष्पक्ष जांच कराने संबंधी निर्देश जारी किया है। ऐसे में अब पुलिसिया मैनेजमेंट कर काफी दिनों से एफआईआर व अन्य कार्यवाहियों से बचें आरोपियों की मुश्किलें बढ़ना लगभग तय मानी जा रही है।

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