*जयसिंहपुर कोतवाल को लापरवाही पर कड़ी फटकार,स्पेशल कोर्ट से अवमानना के कार्यवाही की चेतावनी,जवाब-तलब*
*नाबालिग से दुष्कर्म के केस में कोर्ट के आदेश के बावजूद न कराया पीड़िता का एक्स-रे और न हीं पेश कर पाये वांछित साक्ष्य,एसपी को भी पत्र*
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। किशोरी से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट के आदेश के बावजूद पीड़िता का एक्स-रे ना कराने एवं उम्र संबंधी मेडिकल रिपोर्ट कई दिन बीतने के बाद भी ना पेश कर पाने पर स्पेशल जज पाक्सो एक्ट -पवन कुमार शर्मा की अदालत ने जयसिंहपुर कोतवाल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। विशेष अदालत ने कोतवाल को कड़ी फटकार लगाते हुए उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी देते हुए 16 जुलाई तक जवाब-तलब किया है। अदालत ने कोतवाल की इस लापरवाही के संबंध में एसपी को भी पत्र भेजा है।
मालूम हो कि जयसिंहपुर कोतवाली क्षेत्र के रामनाथपुर गांव निवासी आरोपी ठाकुर प्रसाद निषाद के खिलाफ पीड़िता के भाई ने अपने बहन की उम्र 17 वर्ष बताते हुए उसके साथ बीते 26 मई की रात में दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है। इस मामले में जेल भेजे गए आरोपी ठाकुर प्रसाद निषाद की तरफ से स्पेशल जज की अदालत में जमानत अर्जी प्रस्तुत की गई है,जिसमे बचाव पक्ष ने पीड़िता को घटना के समय वयस्क बताते हुए अभियोजन कथन को चुनौती दी है। जिस पर अदालत ने बीते एक जुलाई को पीड़िता का एक्स-रे कराकर रिपोर्ट एवं उम्र संबंधी साक्ष्य पेश करने के बावत आदेशित किया था ,बावजूद इसके जयसिंहपुर थाना प्रभारी ने ना तो पीड़िता का एक्स-रे कराया और ना ही उम्र सम्बन्धी साक्ष्य 12 जुलाई तक कोर्ट में पेश कर सके,यहां तक कि मामले में पेश हुए कोतवाल हीरा सिंह से जब अदालत ने इस लापरवाही के बारे में वजह पूँछी तो वह आदेश का अनुपालन ना हो पाने के सम्बंध में कोई सही वजह नहीं बता सके ब्लकि अपनी सफाई पेश करने लगे, जिस पर अदालत ने उन्हें कड़ी फटकार भी लगाई। कोतवाल की इस कार्यशैली पर विशेष न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा ने उनकी इस लापरवाही को अवमानना की श्रेणी में मानते हुए कड़ा रुख अख्तियार किया है और नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि कोतवाल की इस लापरवाही की वजह से जमानत प्रार्थना पत्र में सुनवाई कई दिनों से बाधित चल रही है,ऐसे में कोर्ट के काम में बाधा पड़ी और सुनवाई के लिए अगली तिथि नियत करनी पड़ी, अदालत ने कोतवाल की इस लापरवाही पर उनसे 16 जुलाई तक जवाब तलब किया है, नोटिस का जवाब भी ना आने पर कोर्ट ने उन्हें अवमानना की कार्रवाई स्वतः स्वीकार होने की भी बात कहते हुए चेतावनी दी है। कोर्ट के इस कड़े रुख के संबंध में पुलिस अधीक्षक को भी उनके अधीनस्थ कोतवाल की कार्यशैली सम्बंधित पत्र भेजा गया है।