*तेईस वर्ष पूर्व हुई दलित की गैर इरादतन हत्या में पिता-पुत्र समेत तीन दोषी,सजा पर सुनवाई आज*
*छप्पर रखने व हटाने के विवाद में दलित छट्ठू समेत अन्य पर हमला कर आरोपियों ने पहुँचाई थी गम्भीर चोट,इलाज के दौरान गई थी छट्ठू की जान,बचाव पक्ष ने कहा दलित छट्ठू उसके बाग की जमीन में रखा था छप्पर*
*चार के खिलाफ हुआ था आरोप पत्र दाखिल,एक आरोपी की ट्रायल के दौरान हो चुकी है मौत,तीन को जज राकेश कुमार यादव की अदालत ने ठहराया है दोषी*
*सफाई साक्ष्य के दौरान पेश बचाव पक्ष के गवाह देवेंद्र के बयान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने गवाह देवेंद्र व श्रीनारायण को भी विचारण के लिए किया तलब,अपने ही बयान से गवाह ने बढ़ा ली थी अपनी मुश्किलें*
*कोर्ट के तलबी आदेश को सुप्रीम कोर्ट तक मिली चुनौती,पर नही मिली आरोपी देवेंद्र व श्रीनारायण को राहत,पत्रावली अलग कर चलेगा विचारण*
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुल्तानपुर। छप्पर के विवाद में तेईस वर्ष पूर्व हुई दलित की गैर इरादतन हत्या के मामले में स्पेशल जज एससी-एसटी एक्ट राकेश कुमार यादव की अदालत ने पिता-पुत्र समेत तीन आरोपियों को दोषी करार दिया है। जिनकी सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए आज 23 मार्च की तारीख तय की गई है,वहीं इसी मामले में सेशन कोर्ट के जरिए विचारण के लिए तलब किए गए दो अभियुक्तों को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलने के बाद अदालत ने साक्ष्य पर सुनवाई के लिए तारीख तय की है।
मामला गोसाईगंज थाना क्षेत्र के मूसरा रंडौली गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले अभियोगी वंशू ने 18 जून 1998 की घटना बताते हुए मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक उसके चाचा छट्ठू ने छप्पर रखा था ,जिसे आरोपीगण लालजी उपाध्याय,उसका बेटा संतोष उपाध्याय,सह आरोपी देवनारायण उनका बेटा रामाशंकर उठा ले जा रहे थे। छप्पर ले जाने से दलित छट्ठू ने आरोपियों को रोकना चाहा तो वह हमलावर हो गए और लाठी-डंडा आदि से हमलाकर गम्भीर रूप से घायल कर दिया। बीच बचाव में दौड़े वंशू और सीताराम को भी चोटे आई। इस मामले में आरोपियों के हमले के चलते गंभीर रूप से घायल छट्ठू को इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया,हालत गम्भीर होने के चलते उसे लखनऊ रिफर कर दिया गया,जहां इलाज के दौरान सातवें दिन छट्ठू की मौत हो गई। मामले में अभियोगी की तहरीर पर चारों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और विवेचक ने तफ्तीश पूरी कर चारो के खिलाफ गैर इरादतन हत्या व एससी-एसटी एक्ट समेत अन्य आरोपो में चार्जशीट दाखिल किया। मामले के विचारण के दौरान बचाव पक्ष ने अपने साक्ष्यो एवं तर्को को प्रस्तुत कर आरोपियों को बेकसूर बताया। वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता गोरखनाथ शुक्ल ने आठ अभियोजन गवाहों को परीक्षित कराकर घटना को साबित किया। मामले में सफाई साक्ष्य के दौरान आरोपी पक्ष ने देवेंद्र उपाध्याय को पेश किया। जिसने सफाई साक्ष्य के दौरान छट्ठू के जरिये अपने बाग की जमीन में मना करने के बावजूद छप्पर रखने का विरोध करने पर हमला करने एवं अपने बचाव में स्वयं व श्रीनारायण के जरिये घटना को अंजाम देने की बात बयां की गई, नतीजतन सफाई साक्ष्य के दौरान इस नई बात के सामने आने से अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए आरोपी देवेंद्र व सह आरोपी बताये गए श्रीनारायण की भी इस मामले में संलिप्तता मानते हुए उन्हें विचारण के लिए तलब करने का आदेश जारी कर दिया। कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अपने बचाव में देवेंद्र ने हाईकोर्ट की शरण ली, जहां हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के तलबी आदेश को जायज मानते हुए बहाल रखा। हाईकोर्ट से भी राहत न मिलने पर देवेंद्र उपाध्याय ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी सेशन कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश को जायज मानते हुए तलबी आदेश को बहाल रखा और दोनों आरोपियों को कोई राहत नही दी। सफाई साक्ष्य के दौरान सामने आए अभियुक्त देवेंद्र व श्रीनारायण के तलबी आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट तक आरोपी पक्ष के जरिये दी गई चुनौती का निस्तारण न हो जाने तक मामले का विचारण बाधित रहा, फिलहाल बाद में स्पेशल एससी-एसटी एक्ट की कोर्ट में मामले का विचारण पुनः चालू हुआ। जिस पर उभय पक्षों को सुनने के पश्चात स्पेशल जज राकेश कुमार यादव ने छट्ठू की मौत का जिम्मेदार मानते हुए संतोष उपाध्याय, देवनारायण उपाध्याय व उसके पुत्र रमाशंकर उपाध्याय को गैरईरातन हत्या व एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य आरोपो में दोषी ठहराया है,जिनकी सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए आज सुनवाई होनी है। विदित हो कि मामले के विचारण के दौरान ही सह आरोपी लालजी की मृत्यु हो चुकी है। वहीं अदालत ने मामले में सफाई साक्ष्य के दौरान सामने आये अभियुक्त देवेंद्र व श्रीनारायण की पत्रावली को अलग कर साक्ष्य के बिंदु पर सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की है।