सुल्तानपुर के रामलीला मैदान में संचालित विद्यालय के मामले में नया मोड़ आ गया है। नगर पालिका चेयरमैन के अनुसार यहां संत तुलसी दास के नाम से तीन विद्यालय संचालित हो रहे हैं जबकि विभागीय अभिलेखों में ये विद्यालय कही और संचालित किए जा रहे हैं। जबकि अभिलेखो में जहां विद्यालय दर्शाया गया है वहां कुछ है ही नही। उन्होंने आरोप लगाया कि भूमाफियाओं द्वारा नगर पालिका की इस रामलीला मैदान की जमीन पर व्यवसायिक दुकानों का निर्माण कर प्रबंधक, रामलीला ट्रस्ट समिति द्वारा बेचे जाने की तैयारी की जा रही है। लिहाजा चेयरमैन ने विद्यालय प्रबंधक, रामलीला ट्रस्ट समिति, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय और जिला बेसिक शिक्षा कार्यालय के खिलाफ पुलिस अधीक्षक को तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करने का अनुरोध किया है।
आइये अब आपको पूरा मामला समझाते हैं। दअसल फरवरी के तीसरे सप्ताह में नगर पालिका चेयरमैन की अगुवाई में चौक और आस पास के लोग रामलीला मैदान पहुंच कर प्रदर्शन करने लगे। इनका आरोप था कि नगर पालिका की जमीन पर इस रामलीला मैदान में संचालित विद्यालय को जर्जर बताकर अंदर ही अंदर व्यवसायिक दुकानों का निर्माण करवाया जा रहा है। लगातार कई दिनों की शिकायत के बाद आखिरकार जिला प्रशासन ने वहां काम रुकवा कर ताला बंद करवा दिया साथ ही इसकी चाभी नगर पालिका को सौंप दी। इसी के बाद नगर पालिका अध्यक्ष ने जब यहां संचालित विद्यालय के बारे में तहकीकात शुरू की तो जो तथ्य उनके द्वारा बताए जा रहे हैं वो चौकाने वाले हैं। चेयरमैन बबिता जायसवाल की माने तो रामलीला मैदान में एक नही बल्कि संत तुलसी दास प्राथमिक विद्यालय, संत तुलसी दास माध्यमिक विद्यालय और संत तुलसीदास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नाम से तीन तीन विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। शिक्षा विभाग में ये सभी विद्यालय करौंदिया में संचालित दिखाए गए जबकि वास्तव में करौंदिया में कुछ है ही नही। लिहाजा इन्होंने पुलिस अधीक्षक को तहरीर देकर विद्यालय प्रबंधक अनिल मिश्रा, रामलीला ट्रस्ट समिति,जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय और जिला बेसिक शिक्षा कार्यालय की संलिप्तता दिखाते हुए सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की बात कही है।