*अपहरण की फर्जी सूचना देने के आरोपियों को सीजेएम कोर्ट से कल ही मिल गई बेल,महज कुछ घण्टे दोनों काटे जेल*
*पुलिस मामले को गम्भीर बताकर होना चाह रही थी हिट,पर कोर्ट में कहानी नहीं बैठी फिट,चर्चा में कार्यशैली*
*डीडीसी का चुनाव लड़ने के लिए अपनो से ही रुपये ऐंठने के चक्कर मे जुनैद ने ड्राइवर संग मिलकर रचा था खेल,पुलिस की जांच में दोनों हुए फेल*
*कोर्ट में दोनों आरोपियों ने पुलिस की कहानी पर उठाया सवाल*
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। अपहरण की फर्जी घटना दिखाकर झूठी सूचना देने के आरोप से जुड़े मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस मामले में पुलिस की गोल-मोल कार्यवाही के चलते सीजेएम हरीश कुमार की अदालत से दोनों आरोपियों की जमानत कल ही मंजूर हो गई,जिन्हें आज जिला कारागार से रिहा किया गया।
मामला गोसाईंगंज थानाक्षेत्र के इटकौली गांव से जुड़ा है। सामने आई कहानी के मुताबिक इसी गांव का रहने वाला जुनैद आगामी त्रिस्तरीय चुनाव में जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ना चाह रहा था, लेकिन चुनाव लड़ने के लिये जुनैद के पास पैसे नही थे और उसके घरवाले भी आर्थिक सपोर्ट नहीं कर रहे थे, लिहाजा जुनैद ने घर वालों से पैसे ऐंठने के लिये ड्राइवर अमन शर्मा को अपने खेल में शामिल कर फर्जी अपहरण दिखाने की साजिश रच डाली। बीते सोमवार को इसके ड्राइवर अमन शर्मा ने जुनैद की माँ शायरा बानो की मोबाइल पर सूचना दी कि बंधुआकला थानाक्षेत्र स्थित लोधेपुर गांव के पास सुल्तानपुर-लखनऊ हाईवे पर अज्ञात टाटा सूमो सवार लोगों ने मारपीट कर जुनैद का अपहरण कर लिया है और रायबरेली की तरफ लेकर भागे हैं। जिसके बाद शायरा बानो ने अमन शर्मा की फर्जी सूचना पर विश्वास कर डायल-112 पर फोन करके जुनैद के अपहरण की सूचना दी। अपहरण की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन में हड़कम्प मच गया। आनन-फानन में हरकत में आई पुलिस ने मामले की पड़ताल की। जिसके पश्चात ड्राइवर अमन शर्मा व जुनैद अपनी बोलेरो के साथ धम्मौर क्षेत्र में मिल गये,पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक दोनों से पूंछतांछ हुई तो उनकी बातें झूठी निकली। जिसके पश्चात थानाध्यक्ष बधुआकला प्रभात कुमार तिवारी ने झूठी सूचना देकर पुलिस को हैरान करने वाले आरोपी जुनेद व अमन शर्मा के खिलाफ भादवि की धारा-211 का अपराध बताते हुए मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में अपराध की प्रकृति के अनुसार एनसीआर व एफआईआर दर्ज करने का नियम भी है एवं इस धारा के अंतर्गत किया गया कुछ अपराध जमानतीय और कुछ गैरजमानतीय है, लेकिन पुलिस ने इस घटना को अपने हिसाब से काफी गंभीर बताते हुए प्रकरण की तफ्तीश कर रहे दरोगा सीताराम यादव ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया और अपनी कार्यवाही को सही ठहराकर उनकी रिमांड स्वीकृति व उन्हें जेल भेजने की पैरवी अभियोजन से कराई। वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने पुलिस की कार्यवाही पर सवाल खड़ा करते हुए अपराध को काबिले जमानत बताकर दोनों को रिहा करने की मांग की। फिलहाल दोनों आरोपियों की जमानत पर सुनवाई होने के उपरांत जमानत पर अदालत का आदेश आने के पहले ही दरोगा ने बड़ी तेजी बरतते हुए दोनों आरोपियों को जेल में दाखिल करा दिया। मिली जानकारी के मुताबिक कोर्ट की व्यवहारिक कार्य प्रणाली के खिलाफ जाकर बड़ी जल्दबाजी करते हुए दोनों मुल्जिमों को जेल में दाखिल कराने वाले दरोगा को फटकार भी खानी पड़ी। फिलहाल अदालत का आदेश कुछ देर में आने पर दोनों आरोपियों की तरफ से प्रस्तुत बेलबांड स्वीकृति के बाद रिहाई आदेश जिला कारागार को भेजा गया,जिन्हें आज गुरुवार को दोपहर में जेल के नियमों के मुताबिक कोरोना की जांच होने के उपरांत रिहा किया गया। ऐसे में इस मामले में पुलिस अपनी कार्यशैली के चलते चर्चा में आ गई है।