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सुलतानपुर

अवैध असलहा बनाने के केस में कोर्ट ने सुनाई तीन वर्ष के कारावास की सजा व दस हजार का ठोंका जुर्माना।23 वर्ष पूर्व राजनारायण यादव को अवैध तमंचा-कारतूस व इसे बनाने के उपकरणों के साथ किया गया था गिरफ्तार।अभियोजन अधिकारी ने ऐसे अपराधियो को देश व समाज के लिए बताया खतरा।अभियोजन साक्ष्यों को सटीक मानते हुए सीजेएम हरीश कुमार की अदालत ने राजनारायण को सुनाई सजा

*अवैध असलहा बनाने के केस में कोर्ट ने सुनाई तीन वर्ष के कारावास की सजा व दस हजार का ठोंका जुर्माना*

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*23 वर्ष पूर्व राजनारायण यादव को अवैध तमंचा-कारतूस व इसे बनाने के उपकरणों के साथ किया गया था गिरफ्तार*

*अभियोजन अधिकारी ने ऐसे अपराधियो को देश व समाज के लिए बताया खतरा*

*अभियोजन साक्ष्यों को सटीक मानते हुए सीजेएम हरीश कुमार की अदालत ने राजनारायण को सुनाई सजा*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। तेईस वर्ष पूर्व अवैध तमंचा-कारतूस एवं असलहा बनाने के उपकरणो की बरामदगी से जुड़े मामले में सीजेएम कोर्ट ने आरोपी राजनारायण को दोषी ठहराया। जिसे न्यायाधीश हरीश कुमार ने तीन वर्ष के कारावास एवं 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
मामला लम्भुआ थाना क्षेत्र के भगौतीपुर गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले आरोपी राजनारायण यादव को 26 मार्च 1997 को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने रंगेहाथ अवैध तमंचा बनाते गिरफ्तार किया। इस दौरान राजनारायण के कब्जे से अवैध तमंचा-कारतूस व इस तरह के अवैध हथियार बनाने के कई प्रतिबंधित उपकरण भी बरामद हुए। इस मामले में आरोपी के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल हुआ। मामले का विचारण मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में चला। इस दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आरोपी राजनारायण यादव को बेकसूर बताते हुए दर्शाई गई बरामदगी को फर्जी होना एवं कोई विश्वसनीय साक्ष्य मौजूद न होना बताया। वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे अभियोजन अधिकारी विजय कुमार व शकील अहमद ने अभियोजन पक्ष से पेश गवाहों व अन्य साक्ष्यो के आधार पर अपराध को साबित करते हुए अधिकतम सजा से दण्डित किये जाने की अदालत से मांग की। इस दौरान अभियोजन अधिकारी विजय कुमार ने यह भी तर्क रखा कि इस तरीके से बनाये गये तमंचे से किसी अपराध को अंजाम दिया जा सकता था एवं ऐसे ही अन्य अपराधियो के जरिये बनाये जा रहे अवैध तमंचों से आये दिन बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है,इसलिए देश,समाज व न्यायहित में ऐसे अपराध के दोषी को कड़ी सजा दिया जाना बेहद जरूरी है। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात न्यायाधीश हरीश कुमार ने आरोपी राजनारायण को आर्म्स एक्ट के आरोप में दोषी ठहराया। जिसके पश्चात अदालत ने राजनारायण को तीन वर्ष के कारावास एवं 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।मालूम हो कि इस मामले से जुड़े साक्षियों को गवाही के लिए अदालत तक पहुंचाने में लम्भुआ थाने के पैरोकार सुखनिधान यादव ने अहम भूमिका निभाई,जिन्होंने इस मामले के अलावा लम्भुआ थाने से जुड़े अन्य मामलों में भी तैनाती के बाद से ही लगातार अपराधियो को उनकी करनी के अंजाम तक पहुंचाने में अभियोजन की काफी मदद की है,जिनकी अपने दायित्वों के प्रति जिम्मेदारी औरों के लिए प्रेरणादायी है।

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