*..लो अब करोमी प्रधानपति ने अपने खिलाफ उठे आवाज को दबाने के लिए खेला ये खेल*
*उम्र से ही जुड़े मामले में साढ़े सत्ताईस साल के न्यायिक कर्मी की एक-दो नही बल्कि करीब आठ साल उम्र ज्यादा दर्शाकर कोर्ट में दे दिया झूठा शपथ पत्र*
*करोमी प्रधान,उनके पति,जेठ व तत्कालीन सेक्रेटरी एवं बीडीओ समेत अन्य जिम्मेदारो के खिलाफ सरकारी धन हड़पने के आरोप में हुआ है मुकदमा,एसओ से रिपोर्ट तलब*
*आरोप के मुताबिक अपने खिलाफ हुई शिकायतो को दबाने के उद्देश्य से प्रधानपति ने बगैर जांच रिपोर्ट सामने आये ही झूठा शपथ पत्र देकर उसी दिन दायर किया मुकदमा*
*आरोपो के मुताबिक अपनी पत्नी व अन्य जिम्मेदारो के खिलाफ केस दायर होने की भनक लगने पर बौखलाए प्रधानपति ने न्यायिक कर्मी की उम्र सम्बन्धी मामले की बगैर पुष्टि हुए ही कोर्ट में दे दिया प्रार्थना पत्र,पहले भी अपनाये थे कई हथकंडे*
*पहले से भी कई जांचे प्रधान व अन्य जिम्मेदारो के खिलाफ है लम्बित,अब प्रधानपति की एक और गलती से बढ़ सकती है काफी मुश्किलें*
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
———————————————-
सुलतानपुर। विकास कार्यों की आड़ में बड़ा खेल कर सरकारी धन का गबन करने के गंभीर आरोपों से घिरने एवं तत्कालीन खंड विकास अधिकारी व सेक्रेटरी समेत अन्य जिम्मेदार कर्मियों के विरुद्ध केस दायर होने के बाद अपनी पत्नी प्रधान व अन्य को बचाने के लिए उसके पति के जरिए फिर एक झूठा खेल खेलने का मामला सामने आया है,जिसमें इस बार गंभीर आरोपों से घिरे प्रधानपति शान आलम ने शिकायतकर्ता की आवाज को दबाने की नीयत से दीवानी न्यायालय में तैनात उसके भाई के ऊपर ही बगैर कोई सटीक सबूत के प्रार्थना पत्र दे दिया है और इसके समर्थन में झूठा शपथ पत्र भी अदालत में दाखिल किया है। जिससे बौखलाए प्रधानपति की समस्याएं कम होने के बजाय अब और बढ़ती नजर आ रही हैं।
मामला विकास खंड भदैयाँ क्षेत्र के करोमी गांव से जुड़ा है। जहां की प्रधान शबनम बानो का लगभग सारा कारोबार संभालने वाले उनके पति शान आलम उर्फ बब्बन,संरक्षण देने वाले तनजीर आलम एवं गांव व ब्लॉक स्तर के जिम्मेदार अफसरों पर ग्राम विकास की योजनाओं के नाम पर सरकारी धन का गबन करने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि प्रधानपति शानआलम के खिलाफ छेड़खानी, गैंगस्टर एवं हत्या सहित अन्य गंभीर मामले चल रहे हैं, जिसकी दबंग एवं आपराधिक छवि के चलते गांव का कोई भी नागरिक उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर पाता है। लेकिन गांव व क्षेत्र की सेवा में उतरे महताब आलम एवं उनकी प्रेरणा से आगे आये अन्य ग्रामीणों ने अपने प्रधान व उनके पति एवं अन्य संरक्षकों के जरिए किए जा रहे इस खेल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिसको लेकर महताब व अन्य ने जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के कई अधिकारियों के पास ग्राम विकास कार्यों की आड़ में हड़पे गए धन की जांच,कार्यवाही एवं रिकवरी को लेकर शिकायत की है,जिसकी जांचों में कई बातें सामने आ चुकी है और कई जांचे अभी लम्बित बताई जा रही है। जिससे माना जा रहा है कि इस बीच प्रधान शबनम बानो के परिवार की समस्याएं काफी बढ़ गई है। फिलहाल जिम्मेदार अफसर एन-केन-प्रकारेण उन्हें अभी तक बचाए हुए हैं। इस खेल को लेकर हुई शिकायतों के संबंध में सामने आई कई जांच रिपोर्टों में काफी घाल-मेल सामने आना बताया जा रहा है, जिसको लेकर गांव के ही शाहिद ने ग्राम प्रधान शबनम बानो,उसके पति शानआलम उर्फ बब्बन,जेठ तनजीर आलम, तत्कालीन सेक्रेटरी एवं तत्कालीन बीडीओ समेत अन्य जिम्मेदार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जांच कराने एवं कार्रवाई की मांग को लेकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा दायर किया है, जिसमें सुनवाई के पश्चात न्यायाधीश हरीश कुमार ने थानाध्यक्ष कोतवाली देहात से आख्या तलब करते हुए आगामी 14 जनवरी की तारीख तय की है। वहीं बताया जा रहा है कि अपने व पत्नी के खिलाफ हुई शिकायतो व केस दायर होने की भनक पाने पर बौखलाए प्रधानपति शानआलम ने शिकायतकर्ता महताब आलम के दीवानी न्यायालय में तैनात बड़े भाई फैज आलम के खिलाफ बगैर किसी सटीक आधार के शिकायत कर एवं प्रार्थना पत्र कोर्ट में देकर दबाव बनाने का प्रयास शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि शानआलम ने फैज आलम के खिलाफ की गई शिकायत में 10 वीं फेल की मार्कशीट में दो माह उम्र कम होने एवं उसी के अगले वर्ष 10 वीं पास की मार्कशीट में दो माह की उम्र अधिक दर्ज होने की बात को आधार बनाया है। आरोप के मुताबिक फैज आलम के जरिये वर्ष 2009 में हुई अपने पिता की मृत्यु के बाद पांच वर्ष के भीतर ही नौकरी का लाभ पाने के लिए उम्र बढ़वा दिया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक फैज आलम के पिता हसीब आलम की दीवानी न्यायालय में तैनाती के दौरान 28 दिसम्बर 2009 को आकस्मिक मृत्यु हो गई थी, शिकायतकर्ता शान आलम की बात को एक बार के लिए सच मान भी लिया जाय तो फैज आलम की उम्र उसके पिता की मृत्यु के समय करीब साढ़े 16 साल की थी, ऐसे में मात्र डेढ़ वर्ष बाद ही वयस्क होने की दशा में जब फैज आलम को निर्धारित समय-सीमा पांच वर्ष के भीतर ही नौकरी का लाभ मिल जा रहा है तो मात्र दो माह की उम्र में हेरा-फेरी करने का कोई सवाल ही नहीं बनता। इसके अलावा फैज आलम ने दसवीं पास की जिस मार्कशीट का नौकरी में उपयोग किया है, वही उम्र सही बताई जा रही है,जिसके संबंध में काफी सबूत भी फैज आलम के पास मौजूद है। फैज आलम के आरोप के मुताबिक मात्र अपने खिलाफ हुई शिकायतों को वापस लेने का दबाव बनाने एवं क्षेत्रवासियों में झूठी अफवाह फैलाने की मंशा से प्रधान शबनम बानो के पति शान आलम के जरिए झूठे मामले बनाये जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि उम्र संबंधी शिकायत की जांच जिला विद्यालय निरीक्षक के निर्देश पर राकेश सिंह को मिली है, जिसकी जांच भी अभी जारी है। ऐसे में उम्र में हेराफेरी वह भी फेल मार्कशीट में कर लेने का मामला किसी तरीके से अभी पुष्ट भी नहीं हुआ, तब भी बौखलाहट में प्रधानपति शान आलम ने महज दबाव बनाने के लिए मनमुताबिक तथ्य दर्शाकर प्रार्थना पत्र दे दिया है, जो कि स्वयं में ही संदिग्ध दिख रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानपति शानआलम ने खुद ही फैज आलम की उम्र के सबूत देते हुए मुकदमा दाखिल किया है, जिसके हिसाब से मौजूदा समय मे उसकी उम्र साढ़े 27 साल की ही होगी। बावजूद इसके प्रधान ने कोर्ट में दिए प्रार्थना पत्र में फैज आलम की उम्र गलत दर्शाते हुए एक-दो साल नहीं बल्कि करीब आठ साल का अंतर बताते हुए 35 साल बता दी है और दर्शाई गई गलत उम्र के संबंध में झूठा शपथ पत्र भी दाखिल किया है,फैज आलम की उम्र सम्बन्धी आरोपो के पीछे भी शान आलम के करीबियों के जरिये ही योजना बनाने की बात सामने आ रही है। प्रधानपति शान आलम के जरिये अन्य कई गलत तथ्य भी बिना किसी आधार व औचित्य के दर्शाने के मामले सामने आए हैं ,जो कि महज दबाव बनाने के नजरिए से देखे जा रहे हैं। ऐसे में गंभीर आरोपों से पहले ही घिर चुके प्रधानपति शान आलम के परिवार व इससे जुड़े अधिकारियों की दिक्कतें कम होने के बजाय इस नये कागजी कारनामे के चलते और भी बढ़ती नजर आ रही है।