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एसपी साहब ! खिलाफ में कोर्ट का फैसला आये हुए 11 साल,90 पेशियाँ बीती,पर किसान को क्यों नहीं मिली क्षतिपूर्ति ? पुलिस की सरकारी जीप से 12 वर्ष पूर्व बैल बेचनें जा रहे किसान के किशोर बेटे को आई थी गम्भीर चोटे,कोर्ट ने एसपी को माना था देनदारी का जिम्मेदार। आए-गए कई एसपी, पर पुलिस विभाग मारता रहा एक के बाद एक बहाने,ऐसे ही एक मामले में एसपी अनुराग वत्स के छूटे थे पसीने। रिकवरी के लिए कोर्ट का डीएम को है आदेश,आठ नवम्बर को पेशी। पूर्व के पुलिस अधीक्षको ने नही निभाई जिम्मेदारी,अब विभाग को कर्ज मुक्त कराने की एसपी शिवहरि मीणा की जिम्मेदारी

*एसपी साहब ! खिलाफ में कोर्ट का फैसला आये हुए 11 साल,90 पेशियाँ बीती,पर किसान को क्यों नहीं मिली क्षतिपूर्ति ?*

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*पुलिस की सरकारी जीप से 12 वर्ष पूर्व बैल बेचनें जा रहे किसान के किशोर बेटे को आई थी गम्भीर चोटे,कोर्ट ने एसपी को माना था देनदारी का जिम्मेदार*

*आए-गए कई एसपी, पर पुलिस विभाग मारता रहा एक के बाद एक बहाने,ऐसे ही एक मामले में एसपी अनुराग वत्स के छूटे थे पसीने*

*रिकवरी के लिए कोर्ट का डीएम को है आदेश,आठ नवम्बर को पेशी*

*पूर्व के पुलिस अधीक्षको ने नही निभाई जिम्मेदारी,अब विभाग को कर्ज मुक्त कराने की एसपी शिवहरि मीणा की जिम्मेदारी*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। पुलिस की सरकारी जीप से किशोर को गम्भीर चोट पहुंचाने के मामले में 11 वर्ष पूर्व कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को क्षतिपूर्ति अदा करने का जिम्मेदार मानते हुए फैसला सुनाया। कई बार एसपी की तरफ से विभाग को इस सम्बंध में सूचित करते हुए अन्य कार्यवाहियों के सम्बंध कोर्ट से मौका भी मांगा गया, लेकिन आज तक पुलिस विभाग की यह कार्यवाही करीब 90 पेशियों के बाद भी पूरी नहीं हो सकी। नतीजतन पुलिस विभाग से क्षतिपूर्ति पाने के हकदार चोटहिल को आज तक उसका हक नहीं मिल सका है। स्पेशल क्लेम कोर्ट जज राकेश कुमार त्रिपाठी की अदालत ने पुलिस विभाग से रिकवरी कराने के सम्बंध में डीएम को आदेश का अनुपालन कराने का आदेश दिया है।
मामला कूरेभार थाना क्षेत्र स्थित सैदखानपुर गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले रमाशंकर वर्मा चार जून 2008 को अपने 17 वर्षीय पुत्र अभय राज वर्मा के साथ बैल बेंचने भगवती नगर बाजार जा रहे थे। उनका लड़का अभयराज आगे-आगे साइकिल से चल रहा था, जैसे ही वह करोमा नवाब साहब के गांव के पास पहुंचा तभी सुलतानपुर की तरफ से अनियंत्रित ढंग से आ रही पुलिस की सरकारी जीप वाहन संख्या यूपी 44- जी 0106 के चालक ने लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुए अभयराज को जोर की टक्कर मार दी, जिससे वह गम्भीर रूप से घायल हो गया। इस दुर्घटना में अभयराज का हाथ भी टूट गया। इस घटना के सम्बंध में रमाशंकर वर्मा की तहरीर पर कूरेभार थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। सरकारी जीप चलाने में अम्बेडकरनगर जिले के रहने वाले पुलिस कर्मी आनन्द प्रकाश सिंह का नाम सामने आया। दुर्घटना में आई चोटों की क्षतिपूर्ति के सम्बंध में अभयराज की तरफ से जरिए संरक्षक उसके पिता रमाशंकर वर्मा ने चार अगस्त 2008 को वाहन स्वामी पुलिस अधीक्षक सुलतानपुर एवं चालक आनन्द प्रकाश सिंह को पार्टी बनाते हुए उनके विरूद्ध क्षतिपूर्ति याचिका दाखिल की। जिसमें सुनवाई के उपरांत तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश/मोटर वाहन दुर्घटना प्रतिकर न्यायाधिकरण जज अम्बरीश कुमार ने वाहन स्वामी पुलिस अधीक्षक को क्षतिपूर्ति अदा करने का जिम्मेदार मानते हुए उनके विरूद्ध फैसला सुनाया। अदालत ने पांच सितम्बर 2009 को सुनाए गए अपने फैसले में 35 हजार पांच सौ रूपए एवं उसके ब्याज को अदा करने का आदेश दिया है। निर्धारित समय सीमा में क्षतिपूर्ति की रकम न अदा करने पर अदालत के आदेश का अनुपालन कराने के लिए अभयराज वर्मा की तरफ से अधिवक्ता रामतीर्थ वर्मा के माध्यम से कोर्ट में माह दिसम्बर वर्ष 2009 में अर्जी दी गयी। जिसमें अदालत ने जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक से जवाब भी मांगा, तो पुलिस अधीक्षक की तरफ से वर्ष 2012 में प्रस्तुत होकर विभाग को क्षतिपूर्ति की रकम अदा करने के सम्बंध में सूचना भेजने एवं कार्यवाही जारी होने की बात कहकर मौका देने सम्बन्धी अर्जी दी गयी। तब से करीब 90 पेशियां बीत गयी, लेकिन पुलिस अधीक्षक की तरफ से मुकदमें में कोई पेश ही नहीं हुआ और न ही चोटहिल को क्षतिपूर्ति की रकम ही अदा की गयी। अदालत ने क्षतिपूर्ति की रकम दिलाने के सम्बंध में जिलाधिकारी को एसपी से रिकवरी कराने के सम्बंध में कार्यवाही करने का आदेश दिया है। हाल ही में यह मामला मोटर क्लेम दुर्घटना से सम्बंधित स्पेशल कोर्ट पर ट्रांसफर कर दिया गया है। जिसके सम्बंध में मोटर क्लेम जज राकेश कुमार त्रिपाठी की अदालत ने पूर्व में जारी आदेश का अनुपालन कराने के लिए डीएम को आदेशित किया है। मामले में सुनवाई के लिए आगामी 8 नवम्बर की तारीख तय की गयी है। ऐसे ही एक मामले में पुलिस विभाग कई वर्षों से कोर्ट के आदेश के बाद भी क्षतिपूर्ति की रकम पीड़ित को देने में लापरवाही बरत रहा था। जिसमें जज मनोज कुमार शुक्ला ने तत्कालीन एसपी अनुराग वत्स को व्यक्तिगत रूप से तलब कर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था,जिसमे वह कोर्ट में तलब होने से किनारा काटते रहे, लेकिन उन्हें कोर्ट की सख्ती पर वर्षो से लटकी कार्यवाही को महज कुछ दिनों में ही पूरा कर पीड़ित को क्षतिपूर्ति अदा कर अपने पद का सम्मान बचाने में पसीने छूट गये थे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह जरूरी है कि कोर्ट जिम्मेदारो को उनके दायित्वो की याद दिलाये तभी वह कुछ करेंगे,क्या उनकी अपनी सोच मानवता से दूर होकर इतनी लापरवाही भरी है,जिन्हें पीड़ित किसान को उनका हक दिलाने की फुर्सत ही नही है। हालांकि कोर्ट का फैसला आने के बाद से कई एसपी आये -गये लेकिन किसी ने पीड़ित को उसका हक दिलाने में गम्भीरता नही दिखाई,नतीजतन साल बीतते रहे और कोर्ट में पेशियाँ पड़ती रही। अब देखना है कि मौजूदा एसपी शिवहरि मीणा भी पूर्व में आये -गये अन्य पुलिस अधीक्षकों की तरह ही महज कागजी बचाव करते है या फिर पीड़ित को उसका हक दिलाकर अपने विभाग को कर्ज मुक्त कराते है ?

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