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सुल्तानपुर

मासूम को हबस का शिकार बनाने के प्रयास के दोषी ‘मुकेश तिवारी’ को पांच साल की जेल,22 हजार रुपये कोर्ट ने ठोंका अर्थदंड

*मासूम को हबस का शिकार बनाने के प्रयास के दोषी ‘मुकेश तिवारी’ को पांच साल की जेल,22 हजार रुपये कोर्ट ने ठोंका अर्थदंड*

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*स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने इसी केस में सतही तफ्तीश को लेकर एडिशनल एसपी से किया था जवाब-तलब,कार्यवाही की मिली थी चेतावनी,विवेचना में हुई कमी का मुल्जिम को अनुचित लाभ मिलने की थी सम्भावना*

*फिलहाल उस समय नया-नया पॉक्सो एक्ट लागू होने की बात कहने व कोर्ट के जरिये सहानुभूति पूर्वक विचार करने का जवाब देने पर कोर्ट से एएसपी को मिल सकी थी राहत*

*अमेठी जिले के बाजार शुकुल थाने में वर्ष-2013 में घटी थी घटना,पांच दिन में तफ्तीश पूरी कर तत्कालीन सीओ के जरिये भेजी गई थी चार्जशीट*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। आठ वर्षीय मासूम को हबस का शिकार बनाने के इरादे से अश्लील कृत्य करने वाले आरोपी मुकेश तिवारी को स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट की अदालत ने दोषी करार दिया है। विशेष न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा ने दोषी को पांच वर्ष के कारावास एवं 22 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
मालूम हो कि अमेठी जिले की रहने वाली एक मासूम पीड़िता की मां ने घटना के समय अपनी बच्ची की उम्र करीब आठ वर्ष बताते हुए बाजार शुकुल थाने में इसी क्षेत्र के रहने वाले आरोपी मुकेश कुमार तिवारी के खिलाफ 20 नवंबर 2013 की घटना बताते हुए मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक अभियोगिनी की मासूम पुत्री को आरोपी उठाकर नाले में मौजूद झाड़ियों के बीच ले गया और उसे नग्न कर उसके साथ बदनियती से पेश आया। एफआईआर के मुताबिक आरोपी की इस हरकत की शिकार हुई पीड़िता की घटना के बाद आंखे निकल आई थी और उसे दस्त होने लगी थी,पीड़िता को घटना स्थल पर पहुँचे परिजन बेहोशी की हालत में घर ले आये। इस मामले में किसी प्रकार की कार्रवाई करने पर आरोपी मुकेश तिवारी के जरिये पीड़ित पक्ष को जान से मार डालने की धमकी भी मिली थी। मामले की तफ्तीश तत्कालीन क्षेत्राधिकारी मुसाफिरखाना विपुल कुमार श्रीवास्तव को मिली थी, जिन्होंने पांच दिनों में अपनी तफ्तीश पूरी कर पीड़िता को नग्न करने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग,धमकी एवं पॉक्सो एक्ट व एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया,लेकिन उसमें कई त्रुटियां शेष रह गई। अब यह जल्दबाजी किस मकसद से विवेचक ने की थी,यह तो वह स्वयं ही बता सकते है। पीड़िता का परिवार भी गरीब,असहाय व गैर जानकार होने की वजह से इन खामियों को शायद समझ ही नहीं पाया,नतीजतन इस पर कोई कार्यवाही भी नही किये। मुकदमे का ट्रायल स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत में चला। विचारण के दौरान अदालत ने विवेचना में बरती गई कमी पर संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी कर विवेचक से जवाब मांगा था। जिसके पश्चात मौजूदा एएसपी ने अपने जवाब में कोर्ट से वर्ष 2013 में नया-नया पॉक्सो एक्ट लागू होने के तर्क को रखते हुए सहानुभूति पूर्वक विचार करने की याचना की थी,जिसके पश्चात कोर्ट से उन्हें राहत मिल सकी थी। मामले में अभियोजन पक्ष के शासकीय अधिवक्ता विवेक कुमार सिंह ने अपने साक्ष्यों व तर्को को प्रस्तुत कर आरोपी को दोषी ठहराकर कड़ी सजा से दण्डित किये जाने की मांग की। वहीं बचाव पक्ष ने विवेचना में दर्शाए गये तथ्यों व अन्य प्रस्तुत तर्को को आधार बनाकर आरोपी को निर्दोष साबित करने का भरसक प्रयास किया था। फिलहाल अभियोजन पक्ष की कड़ी पैरवी से आरोपी को अनुचित लाभ नही मिल सका और वह घटना को साबित करने में सफल रहे। विशेष न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा ने मामले में आरोपी मुकेश तिवारी को दोषी ठहराते हुए पांच वर्ष के कारावास एवं 22 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

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