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सुल्तानपुर

देखिये कैसे, कोर्ट के स्थगन आदेश के बाद जमीन पर हो रहा कब्जा

सुलतानपुर में स्थगन आदेश के बावजूद जमीन कब्जा करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। हाल ये है कि न पुलिस कोई सहयोग कर रही है न राजस्व विभाग। ऐसे में पीड़ित दर दर की ठोंकरें खाने को मजबूर है।

दरअसल नगर कोतवाली क्षेत्र के गोरबारिक गांव के रहने वाले रिजवान का आरोप है कि उसने अपने भाई दिलशाद व अन्य के नाम धंमौर थाना क्षेत्र के छरौली गांव में 1986 में शीतलाबक्श सिंह के पुत्र रणबीर और राजेश सिंह एवं उनकी पत्नी से बैनामा लिया था। आरोप है कि बैनामा लेने के बाद दिलशाद पक्ष को पता चला कि इसी जमीन पर वंशबहादुर और शीतलाबक्श ने ट्रैक्टर लोन पर लिया था। लोन के दौरान ही शीतलाबक्श की मौत हो गई। लोन न चुकता होने पर रणवीर और राजेश के साथ साथ उनके चाचा वंशबहादुर के पास वसूली की नोटिस आई। जिस पर बैनामा लेने वाले दिलशाद पक्ष ने शीतलाबक्श के नाम से बकाया लोन की राशि अदा कर दिया, जबकि वंशबहादुर द्वारा अपना बकाया नही जमा किया गया। बावजूद इसके जिम्मेदार महकमे ने बकायेदार वंशबहादुर के हिस्से की प्रॉपर्टी नीलाम करने के बजाय ऋण अदा कर चुके शीतलाबक्श के हिस्से की जमीन को नीलाम करा दिया,वह भी वंशबहादुर के जीजा बब्बन सिंह के पक्ष में। इसी के बाद दिलशाद और बब्बन सिंह पक्ष अपने अपने हक को जाहिर करने के लिए अदालतों के चक्कर काटने लगे। अभी किसी के स्वामित्व का निर्धारण नही हो पाया था कि गलत नीलामी के आधार पर खतौनी पर अंकित बब्बन सिंह ने वाराणसी जिले के रहने वाले जनार्दन सिंह के पक्ष में विवादित जमीन का बैनामा कर दिया और इसी बैनामे को आधार बनाकर जनार्दन भी विवादित जमीन पर जबरन कब्जे के जुगाड़ में जुट गये। जबकि कमिश्नर एवं बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने दिलशाद पक्ष को ही वास्तविक स्वामी मानते हुए उनके पक्ष में आर्डर कर दिया। अपने खिलाफ हुए बोर्ड ऑफ रेवन्यू के इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए बब्बन सिंह पक्ष ने अर्जी दी है। पुनर्विचार अर्जी के सम्बंध में दिलशाद पक्ष ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाइकोर्ट ने चार माह में मुकदमा निपटाने का निर्देश देते हुये निर्णय न आने तक स्थगन आदेश पारित कर दिया। मौजूदा समय मे बोर्ड ऑफ रेवन्यू में सम्बंधित मुकदमा चल भी रहा है और हाईकोर्ट का स्थगन आदेश भी प्रभाव में है, लेकिन हैरानी की बात तो ये रही कि स्थगन आदेश के बावजूद भी विपक्षी बब्बन सिंह और जनार्दन सिंह इसी विवादित जमीन निर्माण करने लगे। जमीन पर कब्जा होता देख दिलशाद पक्ष ने आलाधिकारियों से गोहार लगाई। राजस्व और पुलिस विभाग को स्थगन आदेश की प्रतियां दिखाई, लेकिन कोई कार्यवाही न हुई,जिम्मेदार अफसरों के जरिये कोई सुनवाई न होने पर प्रकरण की शिकायत हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, चुनाव आयोग व डीजीपी समेत अन्य से न्याय की गुहार की है।

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