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दलित जानकर महिला से जबरन दुष्कर्म के दोषी ‘छन्नन’ को स्पेशल कोर्ट ने सुनाई उम्र कैद की सजा।स्पेशल जज एससी-एसटी एक्ट राकेश कुमार यादव की अदालत ने दोषी पर लगाया 21 हजार रुपये का अर्थदंड। शौच के लिए निकली पीड़िता को नीची जाति की महिला समझकर ‘छन्नन’ ने उसकी इज्जत से किया था खिलवाड़। साढ़े बारह साल पहले हुई थी घटना,आज आया कोर्ट का फैसला,पीड़िता को मिला न्याय।

*दलित जानकर महिला से जबरन दुष्कर्म के दोषी ‘छन्नन’ को स्पेशल कोर्ट ने सुनाई उम्र कैद की सजा*

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*स्पेशल जज एससी-एसटी एक्ट राकेश कुमार यादव की अदालत ने दोषी पर लगाया 21 हजार रुपये का अर्थदंड*

*शौच के लिए निकली पीड़िता को नीची जाति की महिला समझकर ‘छन्नन’ ने उसकी इज्जत से किया था खिलवाड़*

*साढ़े बारह साल पहले हुई थी घटना,आज आया कोर्ट का फैसला,पीड़िता को मिला न्याय*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। शौच के लिए निकली महिला को दलित समझकर उसकी इज्जत से खिलवाड़ करने वाले दुष्कर्म के दोषी ‘छन्नन’ को एससी-एसटी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश राकेश कुमार यादव के फैसले से बड़ी सबक मिली है। अदालत ने छन्नन पुत्र अंसार को दुष्कर्म व एससी-एसटी एक्ट की धारा का दोषी मानते हुए उसे उम्र-कैद एवं 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
मालूम हो कि कुड़वार थाना क्षेत्र के गजेहड़ी गांव के रहने वाले आरोपी छन्नन के खिलाफ पीड़िता ने दो सितम्बर 2008 की घटना बताते हुए गंभीर आरोपो में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक पीड़ित शौच के लिए गई थी, इसी दौरान आरोपी छन्नन पीड़िता के दलित होने व उसकी कमजोरी का नाजायज फायदा उठाकर जबरन रास्ते से उठाकर बगल के खेत मे लेकर चला गया और उसका मुंह दबाकर बलात्कार किया। पीड़िता के मुताबिक अपनी इज्जत बचाने के लिए उसने हर सम्भव प्रयास किया,लेकिन बचा नहीं पाई और आरोपी ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दे दिया। यही नहीं आरोपी ने पीड़िता को घटना के सम्बंध में शिकायत करने अथवा मुकदमा दर्ज कराने पर जान से मारने की धमकी भी दी। बताया जाता है कि छन्नन के वर्ग के लोगो की क्षेत्र में जनसंख्या ज्यादा है और उनकी आपराधिक छवि के चलते क्षेत्र में काफी दहशत भी है, जिसकी वजह से कमजोर वर्ग व कमजोर परिवार की महिलाएं उनके शोषण की शिकार होने के बावजूद भी आवाज उठाने की हिम्मत नही जुटा पाती। फिलहाल इस मामले में पीड़िता ने दलित होने व काफी क्षेत्रीय दबाव होने के बावजूद आरोपी छन्नन के जरिये अपनी इज्जत के साथ किये खिलवाड़ की बात को दबाने व उससे मैनेज होने के बजाय बड़ी हिम्मत जुटाकर आवाज उठाई। मामले में पीड़िता की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म,धमकी व एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। जिसकी तफ्तीश पूरी कर विवेचक ने अपनी जांच में घटना साबित पाने पर आरोप-पत्र दाखिल किया। प्रकरण का विचारण मार्च 2009 से स्पेशल जज एससी-एसटी एक्ट की अदालत में शुरू हुआ। मामले में विचारण के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अपने साक्ष्यों एवं तर्कों को पेश कर आरोपी छन्नन को बेकसूर बताने का भरपूर प्रयास किया, वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता गोरखनाथ शुक्ला ने दो गवाहों को परीक्षित कराते हुए छन्नन को ही घटना का जिम्मेदार बताकर दोषी ठहराने व कड़ी सजा से दण्डित किये जाने की मांग की। बताया जाता है कि आरोपी छन्नन की डर की वजह से पीड़ित पक्ष गवाही देने की भी हिम्मत नही जुटा पा रहा था,फिलहाल किसी तरह से दो गवाही पूरी हुई। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात स्पेशल जज राकेश कुमार यादव ने आरोपी छन्नन को दुष्कर्म व एससी-एसटी एक्ट की धारा में दोषी मानते हुए उसकी सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय किया था। अदालत ने केस की परिस्थितियों को देखते हुए माना कि छन्नन ने पीड़िता को दलित वर्ग व उसे कमजोर परिवार का होने के नाते वारदात को अंजाम दिया था,इसी वजह से कोर्ट ने दोषी छन्नन के अपराध को अत्यंत गम्भीर मानते हुए उसे उम्रकैद एवं 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

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