*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
सुलतानपुर। मी-टू में फंसे पूर्व नगर कोतवाल नंद कुमार तिवारी ने हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आत्मसमर्पण कर जमानत अर्जी प्रस्तुत की। जिस पर पीड़िता के अधिवक्ता ने पूर्व कोतवाल की क्रिमिनल हिस्ट्री तलब कर अपना पक्ष रखने के लिए समय की मांग की। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात सीजेएम हरीश कुमार ने क्रिमिनल हिस्ट्री एवं अभियोजन प्रपत्रों को तलब करते हुए आगामी 18 दिसम्बर तक पूर्व नगर कोतवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। पूर्व कोतवाल की तरफ से पड़ी मूल जमानत अर्जी पर कोर्ट का क्या फैसला आएगा यह अगली तिथि पर ही तय होने की उम्मीद है।
मामला पूर्व नगर कोतवाल नंद कुमार तिवारी से जुड़ा है। जिनके खिलाफ मुसाफिर खाना थाना क्षेत्र की रहने वाली एक युवती ने गम्भीर आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक से शिकायत की थी। जिसने अपने प्रेमी से धोखा खाने के बाद उस पर कार्यवाही को लेकर कुड़वार थाने में मुकदमा दर्ज कराया था,उस दौरान कुड़वार थाने का प्रभार नन्द कुमार तिवारी के पास था,जिन्होंने पीड़िता के प्रेमी को सबक सिखा देने का विश्वास दिलाते हुए पीड़िता को ही अपने सम्पर्क में ले लिया और उसके बाद उसे एक के बाद एक झांसा देकर उसके साथ खिलवाड़ करते रहे।कुड़वार के बाद नन्द कुमार तिवारी को कोतवाली नगर का प्रभार मिल गया,तब भी वह पीड़िता का काम करा देने का झांसा देते हुए उसके सम्पर्क में बने रहे और उसके मोबाइल पर अश्लील चैटिंग आदि कर उससे खेलते रहे। लेकिन बाद में नन्द कुमार तिवारी के वायदे झूठे निकले तो पीड़िता व उनके बीच की बात चर्चा में बदल गई। प्रकरण की जांच तत्कालीन एसपी सिटी मीनाक्षी कात्यायन को मिली थी, जिनकी जांच में पूर्व कोतवाल नंद कुमार तिवारी पीड़ित युवती को अश्लील मैसेज भेजने, बाते करने समेत अन्य आरोपों में प्रथम दृष्ट्या दोषी पाए गए। एसपी सिटी की यह रिपोर्ट आने के बाद पीड़िता की तहरीर पर चार जनवरी 2019 को पूर्व कोतवाल पर भादवि की धारा 354 डी के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ। प्रकरण की तफ्तीश तत्कालीन क्षेत्राधिकारी नगर को मिली। जिन्होंनें अपनी जांच में नन्द कुमार तिवारी निवासी धानेपुर जिला गोंडा को भादवि की धारा 354 डी व 67-ए आईटी एक्ट में प्रथम दृष्ट्या अपराध प्रमाणित पाते हुए आरोप पत्र सीजेएम कोर्ट में दाखिल किया। इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद से लेकर चार्जशीट दाखिल होने तक पूर्व कोतवाल ने राहत पाने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली, फिलहाल उन्हें कोई विशेष राहत नहीं मिली। इस मामले में उन्होंने चार्जशीट को भी चैलेंज करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उसे रद्द करने अथवा केस की कार्यवाही रोकने की मांग की थी। जिस पर सुनवाई के पश्चात हाईकोर्ट ने बीते नौ नवम्बर को सम्बंधित अदालत में चार सप्ताह के भीतर हाजिर होकर अर्जी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जिसके अनुपालन में पूर्व कोतवाल नन्द कुमार तिवारी ने शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर जमानत अर्जी प्रस्तुत की। जिस पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने जमानत स्वीकार करने की मांग की। वहीं पीड़िता के अधिवक्ता विजय कुमार अग्रहरि ने नन्द कुमार तिवारी के आपराधिक इतिहास को तलब करने की मांग करते हुए अपना पक्ष रखने के लिए अवसर देने का तर्क रखा। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात न्यायाधीश हरीश कुमार ने आरोपी पूर्व नगर कोतवाल की क्रिमिनल हिस्ट्री तलब करते हुए आगामी 18 दिसम्बर तक उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। मालूम हो कि नगर कोतवाल को इस मामले में शुरू से ही काफी बेज्जती झेलनी पड़ी और उन्हें निलम्बित भी होना पड़ा था,फिलहाल उन्हें मौजूदा समय मे आजमगढ़ जिले के जीयनपुर कोतवाली का प्रभार मिले होनी की जानकारी मिली है,जो आज अपनी करतूतों के चलते फिर चर्चा में आ गये है।