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सुल्तानपुर

भ्रष्टाचार में लिप्त तहसीलदार ‘जितेंद्र गौतम’ एवं बाबू ‘रामखेलावन’ का खेल, जमकर हो रहा घालमेल।पद का दुरुपयोग कर सेटिंग-गेटिंग कर चल करप्शन गेम,मनचाही फाइलों में हो रहा मनचाहा खेल।बिना किसी ठोस आधार व औचित्य के बाबू रामखेलावन की निजी फाइल में तहसीलदार ने कर दिया मनमाना आदेश,लगे गम्भीर आरोप।शिकायकर्ता महिला ने डीएम व प्रदेश स्तर पर शिकायत कर की है भ्रष्टाचार की जांच कराकर कार्यवाही की मांग।तहसीलदार की अदालत में अपने चहेतों की ही फाइल नियत कर हुए सौदे के मुताबिक किसी न किसी तरीके किया जाता है आदेश।

*भ्रष्टाचार में लिप्त तहसीलदार ‘जितेंद्र गौतम’ एवं बाबू ‘रामखेलावन’ का खेल, जमकर हो रहा घालमेल*

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*पद का दुरुपयोग कर सेटिंग-गेटिंग कर चल करप्शन गेम,मनचाही फाइलों में हो रहा मनचाहा खेल*

*बिना किसी ठोस आधार व औचित्य के बाबू रामखेलावन की निजी फाइल में तहसीलदार ने कर दिया मनमाना आदेश,लगे गम्भीर आरोप*

*शिकायकर्ता महिला ने डीएम व प्रदेश स्तर पर शिकायत कर की है भ्रष्टाचार की जांच कराकर कार्यवाही की मांग*

*तहसीलदार की अदालत में अपने चहेतों की ही फाइल नियत कर हुए सौदे के मुताबिक किसी न किसी तरीके किया जाता है आदेश*

*जांच में सेटिंग-गेटिंग कर हो रही फाइलों की कार्यवाहियों का होगा खुलासा,कई आ सकते है कार्यवाही की जद में*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। अधिकारी एवं बाबुओं की मिली-भगत से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर मनचाहा खेल करने का मामला कई बार चर्चा में आया और मामला बढ़ने पर उनके खिलाफ जांच व कार्यवाही की भी बातें सामने आयी, लेकिन वह सुधरने को राजी नहीं है। अब तो तहसीलों समेत अन्य जगहों पर तैनात अधिकारियों व उनके अधीनस्थों का यह हाल हो गया है कि वह अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं, ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें सदर तहसीलदार जितेंद्र गौतम के जरिये तहसील में ही तैनात आरके बाबू राम खेलावन की पैरवी पर उनकी पत्नीे के नाम चल रहे मुकदमें में महज लाभ पहुंचाने व लम्बित करने के उद्देश्य से पद का दुरूपयोग कर बगैर किसी ठोस आधार व औचित्य के ही मुकदमें को ‘अवेट’ कर दिया गया। इस प्रकरण में जिम्मेदार अधिकारियों ने अन्य भी कई खेल कई महीने तक खेले, जिसके सम्बंध में पीड़ित पक्ष ने जिलाधिकारी एवं शासन स्तर पर शिकायत कर भ्रष्टाचार के सम्बंध में जांच कर कार्यवाही की मांग की है।
मामला सदर तहसील क्षेत्र अन्तर्गत स्थित सौरमऊ-लम्बरदार का पुरवा गांव से जुड़ा है। जहां की रहने वाली लालती देवी ने अपने मकान के ही बगल स्थित गाटा संख्या 197 में सावित्री देवी से 20 नवम्बर 2018 को जमीन का बैनामा लिया और उसी के बाद अपना नाम अभिलेखों में दर्ज कराने के लिए तहसीलदार की अदालत में आवेदन किया। यह मामला 26 नवम्बर 2018 से तहसीलदार की अदालत में लम्बित रहा। आरोप के मुताबिक लालती देवी के जरिए खरीदी गयी जमीन के बगल ही तहसील सदर में ही तैनात आरके बाबू राम खेलावन की पत्नी शिव कुमारी ने 31 जुलाई 2018 को विक्रेता सावित्री से ही बैनामा लिया था और इसके पूर्व में भी रामखेलावन ने सोमनाथ उपाध्याय से भी एक बैनामा खरीदवाया था। लालती के आरोपों के मुताबिक रामखेलवान ने अपनी पत्नी के जरिए लिए गए बैनामें एवं पूर्व के बैनामे की जमीन पर दो मंजिला मकान बना लिया है, बावजूद इसके उनके बैनामें की जमीन में जबरन गेट खोलकर उसे भी हड़प लेना चाहते हैं। आरोप के मुताबिक आरके बाबू रामखेलावन ने लालती की दाखिल खारिज में बेवजह बाधा उत्पन्न करने की नीयत से सिविल कोर्ट में एक मुकदमा भी दाखिल किया। हालाकि सिविल कोर्ट से रामखेलावन की पत्नी शिवकुमारी के जरिए खरीदी गयी बैनामें की चैहद्दी की भूमि पर ही स्थगन आदेश दिया गया है और उसकी आस-पास की जमीन पर स्थगन आदेेश का कोई असर भी नहीं है। बावजूद इसके तहसीलदार जितेन्द्र गौतम ने पेश किए गए सारे साक्ष्यों को नजर अंदाज करते हुए अपने बाबू रामखेलावन के प्रभाव में सिविल कोर्ट में मुकदमें का अंतिम निर्णय न हो जाने तक अवेट कर दिया है। जबकि इस तरीके के आदेश करने का न तो कोई आधार है और न ही कोई औचित्य है। इसके अलावा शिकायतकर्ता लालती देवी ने तहसीलदार के जरिए किए गए आदेश में खामी निकालते हुए यह भी बताया है कि तहसीलदार ने संक्रमणीय भूमि में बगैर सहखातेदारों के बीच बंटवारा हुए किसी निश्चित चैहद्दी की भूमि का विक्रय नहीं न किये जा सकने की बात दर्शाई है, जबकि इसी गाटे में बाबू रामखेलावन की पत्नी के जरिए खरीदी गयी बैनामें की भूमि में तहसीलदार की अदालत से ही माह अक्टूबर वर्ष 2018 में दाखिल खारिज का आदेश पारित किया गया है। ऐसे में एक ही तरीके के प्रकरण में आखिर तहसीलदार की अदालत के जरिए दोहरा मापदंड क्यों अपनाया गया। इसके अलावा जब सम्बंधित भूमि के बावत कोर्ट का स्थगन आदेश प्रभावी नहीं है तो आखिर क्यों गुण-दोष के आधार पर मुकदमे का निस्तारण करने के बजाय उसे अवेट कर दिया गया। इस कारनामे के अलावा यह भी बाते सामने आयी है कि मामले में 25 जनवरी से ही तहसीलदार की अदालत में सारी कार्यवाहियों को पूर्ण करने के पश्चात आदेश में पत्रावली नियत रही, बावजूद इसके बाबू रामखेलावन के प्रभाव में आदेश पारित करने में टाल-मटोल किया जाता रहा। जबकि इस मामले में कई महीनों पूर्व ही हाईकोर्ट के जरिए छह माह के भीतर निस्तारण करने के सम्बंध में निर्देश भी दिया गया था। साथ ही आदेश का अनुपालन न होने पर लालती देवी की शिकायत पर अपर आयुक्त प्रशासन ने तहसीलदार को शीघ्र निस्तारण के सम्बंध में निर्देशित भी किया था। उच्चाधिकारियों के इन आदेशों के बावजूद भी बाबू का सम्बंध व उसकी सेटिंग-गेटिंग का असर तहसीलदार पर हावी रहा, नतीजतन उसके मन के हिसाब से पत्रावली की कार्यवाहियां चलती रही और बाद में उसी के लाभ को देखते हुए महज उनके विपक्षी लालती देवी को परेशान करने व दबाव बनाने की नीयत से तहसीलदार ने गुण-दोष के आधार पर मुकदमे का निस्तारण करने में दिक्कत समझते हुए मनमुताबिक तथ्यों को अपने आर्डर में दर्शाकर मुकदमे को ही अवेट कर दिया। आरोपों के मुताबिक मुकदमा अवेट कराने के बाद बाबू रामखेलावन ने अपने पद व पहुंच की हनक का असर जनवाने के लिए पड़ोसी शिकायतकर्ता को सुनाकर तंच भी कसा और खुद को अधिकारियों की कमाई का जरिया होने के चलते अपने को ही प्रथम वरियता मिलने का दावा करते हुए अपने मनचाही फाइलों में मन-मुताबिक आदेश कराने की बात कह डाली। माना जा रहा है कि इस तरीके की सटीक साक्ष्यों से जुड़ी फाइलों में बेवजह ही जब पद का दुरूपयोग कर मनमाना आदेश कर दिया जा रहा है तो अन्य फाइलों का क्या हाल होगा ,इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। आरोपों के मुताबिक तहसील सदर में इस बीच सेटिंग-गेटिंग के बल पर ही तथ्यों को तोड़-मरोड़कर मुकदमों का निस्तारण किया जा रहा है और उसके पीछे मनमानी रकम की वसूली या अन्य स्वार्थो की पूर्ति की जा रही है। जिम्मेदार अफसर व बाबू यह सोचते है कि उनके जरिये गलत-सही कुछ भी किया जाय, उस पर कोई आवाज न उठाएं,बस करे तो सिर्फ अपील या निगरानी। जिम्मेदार अफसर भी पूंछने पर अपने जरिए किए गए मनमाने फैसलों के खिलाफ अपना रटा-रटाया जवाब अपील व निगरानी उच्च अदालतों में दाखिल करने की बात कहते हैं, जिससे उनका मनमाना खेल चलता रहे और अपने कोर्ट तक के फैसले के प्रति लिए गये बयाने में कोई बाधा न पड़े। बात इतनी ही नही है कि तहसीलदार ने इस तरीके से मनमाना ऑर्डर कर दिया,इसके खिलाफ तो प्रभावित पक्ष विधिक प्रक्रिया अपनाएगा ही,लेकिन बात पीड़ित पक्ष को कम से कम समय मे एवं सुलभ न्याय मिलने की है,जो कि अधिकारियों व बाबू की ऐसी करतूत से मिलना सम्भव ही नही है,जिसका खामियाजा अधिकतर लोग भुगत रहे है और अधिकारी अपने फैसले का सौदा कर उसे मनमुताबिक ढंग से बेंच रहे है,जिसे इस पत्रावली में हुए मनमाने आदेश की जांच कराकर स्वंय ही जाना जा सकता है। इस मामले के अलावा एक मामला और सामने आया है जिसमे तहसीलदार के एकपक्षीय कार्यवाही को प्रभावित पक्षकार चुनौती देना चाहता है,जिसके लिए पीड़ित पक्ष ने कई दिनों पूर्व ही प्रश्नगत आदेश की नकल लेने के लिए आवेदन किया है,लेकिन अगले पक्ष से बाबू व अधिकारी की सेटिंग-गेटिंग हो जाने व उसके पक्ष में मनमाना आदेश करने की मंशा के चलते उसे आदेश की नकल के लिए ही कई दिनों से दौड़ाया जा रहा है, जिससे की वह न तो फैसले को चुनौती दे सके,न ही उनकी मंशा में कोई बाधा उत्पन्न कर सके और वे लिये बयाने के मुताबिक नियत तिथि पर अपने चहेते पक्ष के प्रभाव में मनमाना आर्डर कर दें। ऐसे ही एक-दो नही बल्कि कई मामले है जिनमे सेटिंग-गेटिंग कर मनमाना खेल किया जा रहा है,जांच हुई तो यह भ्रष्टाचार के खेल का भंडाफोड़ होना भी तय है। अब देखना है शिकायतकर्ता की अर्जी पर डीएम रवीश गुप्ता क्या एक्शन लेते है और शासन स्तर के जिम्मेदार इस पर क्या कार्यवाही करते है यह तो वक्त ही बताएगा। जिम्मेदार अफसरों व बाबूओ की इन कार्यशैलियो से कई अधिवक्ता व पक्षकार भी पीड़ित है,मामला गरमाने पर उनके भी शीघ्र ही सामने आने की सम्भावना जताई जा रही है।वैसे भी मामले की जांच होने पर सच व गलत का पता तो सबको चल ही जायेगा और चल रहा करप्शन-गेम भी सबके सामने आ जायेगा,जिसमे तहसीलदार व बाबू रामखेलावन के अलावा अन्य कईयो का भी नाम सामने आ सकता है। फिलहाल अन्य लोगो की भूमिका तो अभी जांच के अधीन है लेकिन तहसीलदार जितेन्द्र गौतम एवं रामखेलावन बाबू के इस खेल ने पूरी तहसील का ही माहौल चर्चा में ला दिया है।

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