*..आखिर गलत निकला अधिवक्ता की जमीन में जबरन हो रहा सड़क निर्माण,पर जिम्मेदार किसी की बात नहीं रहे थे मान*
*गलत निकलें जिम्मेदार सभी,जमीन निकली अधिवक्ता की,अब कौन चुकाएगा सरकारी धन की क्षति ?*
*किसान यूनियन के नेता की पैरवी पर विधायक के संरक्षण में एसडीएम की सह से अधिवक्ता की जमीन पर जबरन सड़क निर्माण कराने का रहा आरोप,अब किसान यूनियन का नेता गलत रिपोर्ट लगवा देने की दे रहा धमकी*
*काफी समय से लम्बित है हदबरारी का मुकदमा,जिम्मेदार करते रहे बहाने पर बहाने,मामला चर्चा में आया तो दिमाग आया ठिकाने*
*अधिवक्ता संघ के हस्ताक्षेप व मामला सुर्खियों में आने पर हरकत में आये जिम्मेदारो ने किया सीमांकन,अधिवक्ता की जमीन में निकला सड़क निर्माण,कानून-गो ने किया स्वीकार*
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। विधायक देवमणि द्विवेदी के नाम की आड़ में किसान यूनियन नेता की पैरवी पर पीडब्ल्यूडी से हो रहे सड़क निर्माण कार्य के आरोप से जुड़े मामले में सीमांकन कार्यवाही के बाद जमीन अधिवक्ता की मिली। शिकायतकर्ता अधिवक्ता के मुताबिक किसान यूनियन के नेता की पैरवी पर एसडीएम लम्भुआ एवं अधीनस्थ राजस्व कर्मियों की मिलीभगत की वजह से उनके खाते की जमीन पर जबरन सड़क निर्माण कराया जाता रहा,फिलहाल सीमांकन के बाद उस पर ब्रेक लग गया है। डीएम सहित अन्य ने पहले ही बगैर भूस्वामी की सहमति के सड़क निर्माण पर रोक लगाई थी एवं सरकारी धन का दुरूपयोग न कर मार्ग की ही जमीन पर निर्माण कराने की बात कही थी,लेकिन पद व पॉवर के नशे में चूर जिम्मेदारो ने एक न मानी।अब सीमांकन के बाद सामने आई स्थिति से सरकारी धन का दुरुपयोग हो जाने की स्थिति लगभग साफ हो गई है। आखिर अब इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा और किससे इस नुकसान की भरपाई होगी,यह अहम सवाल है। शिकायतकर्ता की माने तो अब किसान यूनियन का नेता अपने प्रभाव के दम पर राजस्वकर्मियो से गलत रिपोर्ट लगवा देने की धमकी दे रहा है।
मालूम हो कि लम्भुआ तहसील क्षेत्र स्थित गारवपुर गांव के राजस्व अभिलेखों में जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता जितेन्द्र पांडेय निवासी पिलखिनी- मिश्रान के पिता रामशिरोमणि पांडेय एवं परिवार के अन्य सदस्यों के नाम भूखंड संख्या-348,349,358,359,360 दर्ज है, इसी से सटे हुए चकमार्ग की गाटा संख्या 361 है। अधिवक्ता जितेन्द्र पांडेय के आरोप के मुताबिक करीब चार वर्ष पूर्व ग्राम प्रधान ने उनके खाते की जमीन पर गलत तरीके से खड़ंजा निर्माण कार्य करवा दिया था, जिसके सम्बंध में अधिवक्ता के पिता रामशिरोमणि ने आवाज उठाई तो तत्कालीन एसडीएम ने उनसे अपने चक का सीमांकन कराने की बात कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया और बगैर हदबरारी कराये खड़ंजा निर्माण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। यह बातें सुनकर रामशिरोमणि पांडेय ने करीब चार वर्ष पूर्व ही हदबरारी का मुकदमा उपजिलाधिकारी-लम्भुआ की कोर्ट में दायर किया था। सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद भी कई महीनों तक सम्बंधित राजस्व कर्मियों ने सीमांकन ही नहीं किया। कुछ महीनों बाद रामशिरोमणि पांडेय को राजस्व कर्मियों ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के नये नियमों के अन्तर्गत नया हदबरारी का मुकदमा दायर करने का सुझाव दे दिया। जिम्मेदार अधिकारियों- कर्मचारियों के कहने पर मजबूरन रामशिरोमणि पांडेय ने नया मुकदमा भी दायर किया। जिसे दायर हुए कई महीने बीत चुके है,लेकिन राजस्व कर्मी हर बार बहाने पर बहाना मारते चले गये और लगातार चक का सीमांकन करने से परहेज करते रहे। अधिवक्ता के मुताबिक गलत ढंग से बनवाए गए उसी खड़ंजे पर अब लोक निर्माण विभाग के जरिए सड़क निर्माण कार्य करवाया जाने लगा। बगैर चकमार्ग एवं खाते की जमीन की सीमा का निर्धारण किए जबरन हो रहे सड़क निर्माण को रूकवाने के लिए रामशिरोमणि की तरफ से कई अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया गया, लेकिन किसी ने एक न सुनी और लगातार एक-न-एक जांच रिपोर्ट मंगाने के बहाने उनकी कार्यवाही को साजिशन लम्बित कर गलत ढंग से सड़क निर्माण कार्य जारी रखा गया,जबकि पूर्व में भी डीएम ने खाते की जमीन पर बगैर भूस्वामी की सहमति के किसी प्रकार का निर्माण कराने पर रोक लगाई थी। आरोप के मुताबिक गांव निवासी किसान यूनियन के नेता गौरीशंकर पांडेय विधायक देवमणि द्विवेदी के नाम का संरक्षण लेकर अधिवक्ता परिवार की जमीन पर जबरन सड़क निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी कर्मियों पर प्रभाव बनाकर कराता रहा।सामने आई बातो के मुताबिक विधायक देवमणि द्विवेदी के भाई चिंतामणि द्विवेदी मौके पर भी गए हुए थे जिनके जरिये अपने भाई के विधानसभा क्षेत्र में पैदा हुई इस समस्या का नाप-जोख कराकर निस्तारण कराने के बजाय गलत तरीके से हो रहे निर्माण कार्य को कराने पर ही जोर देने की बात सामने आई थी। शायद इसी संरक्षण की वजह से स्थानीय प्रशासन भी बहाने पर बहाने मारता रहा। फिलहाल विधायक देवमणि द्विवेदी ने इस मामले में किसी प्रकार की संलिप्तता से इंकार किया था और निष्पक्ष कार्यवाही कराकर मामले का निस्तारण कराने का भरोसा दिया था। खैर विधायक के इसी बयान के बाद सड़क निर्माण कार्य हुआ भी नही और राजस्व टीम ने जाकर सीमांकन की कार्यवाही को भी कुछ ही दिनों में पूरा कर दिया। जिससे माना जा रहा है कि कहीं न कहीं विधायक का भी मामले का सही ढंग से निस्तारण कराने की प्रक्रिया में सहयोग रहा। सीमांकन के दौरान जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी, पक्ष-विपक्ष व उनके अधिवक्ता भी मौजूद रहे,जिनकी मौजूदगी में सीमांकन हुआ। सीमांकन की कार्यवाही में बन रही सड़क अधिवक्ता की ही जमीन में मिली और अधिवक्ता की लगभग एक बीघा जमीन बगल के चको में निकली। अब सवाल उठता है कि आखिर राजस्व व पीडब्ल्यूडी विभाग के जिम्मेदार अफसर अधिवक्ता के बार-बार कहने व उच्चाधिकारियों के आदेश के बावजूद भी सड़क निर्माण में सीमांकन न हो जाने तक रोक लगाने के बजाय क्यों और किसके दबाव में मनमानी करते रहे,अब अवैध तरीके से सड़क निर्माण में हुई सरकारी धन की क्षति की भरपाई किससे की जाएगी या सरकार ही इस नुकसान को सहेगी,ऐसे कई अहम सवाल उठ रहे है जो जिम्मेदारो के लिए मुश्किलें खड़ी करते नजर आ रहे है।