विधान भवन के सामने आत्मदाह का प्रयास करने वाले माँ-बेटे को सेशन कोर्ट लखनऊ से मिली जमानत
जामो पुलिस की कार्यशैली से निराश होकर दबाव बनाने की नीयत से किया था आत्मदाह का प्रयास, तब जागी थी पुलिस
ओदरा कांड एवं लेखपाल को ब्लैकमेल करने के आरोपियों की भी अर्जी मंजूर,अभियोजन को झटका
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
सुलतानपुर/लखनऊ-जामो थाने की पुलिसिया कार्यशैली से परेशान होकर विधान भवन के सामने पेट्रोल डालकर आत्महत्या का प्रयास करने वाले मां-बेटे की तरफ से अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम चतुर्थ-लखनऊ की अदालत में जमानत अर्जी प्रस्तुत की गई। जिस पर सुनवाई के पश्चात न्यायाधीश हरेंद्र बहादुर सिंह ने बचाव पक्ष के तर्को से सहमत होते हुए मां बेटे की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। वहीं प्रभारी सत्र न्यायाधीश व एफटीसी प्रथम की अदालत ने हत्या के प्रयास एवं लेखपाल को ब्लैकमेल करने के आरोपियों की अर्जी स्वीकार कर ली है।
पहला मामला अमेठी जिले के जामो थाना क्षेत्र के स्थानीय कस्बे से जुड़ा है। जहां पर बीते नौ मई को असलम एवं उसके विपक्षी अर्जुन के परिवार में नाली को लेकर विवाद हुआ था,जिसमे पुलिस अपने दायित्वों से हटकर अर्जुन पक्ष का सपोर्ट कर रही थी। असलम की पत्नी आसमा के मुताबिक इस मामले में जामो पुलिस ने केस दर्ज करने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे निराश होकर एवं पुलिस पर कार्रवाई को लेकर दबाव बनाने की नीयत से विधान भवन लखनऊ के सामने आसमा व उसके बेटे सुल्तान ने आत्मदाह का प्रयास किया। बीते 17 जुलाई को असलम की पत्नी आसमा व उसके पुत्र सुल्तान के जरिए विधान भवन के सामने किए गये आत्महत्या के प्रयास के मामले में हजरतगंज-लखनऊ के दरोगा सज्जाद खान की तहरीर पर गंभीर धाराओ में मुकदमा दर्ज हुआ। कार्यवाही को लेकर पुलिस पर दबाव बनाने की मंशा से मां-बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने के पीछे एमआईएम नेता कबीर खान एवं कांग्रेसी नेता अनूप पटेल समेत अन्य का नाम सामने आया। फिलहाल इसी घटना के बाद जामो पुलिस ने अर्जुन पक्ष के खिलाफ कार्यवाही तेज कर दी थी। लखनऊ से जुड़े आत्महत्या के प्रयास के मामले में आरोपी बनी आसमा व उसके बेटे सुल्तान की तरफ से एडीजे व विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम चतुर्थ-लखनऊ की अदालत में प्रस्तुत जमानत अर्जी पर सुनवाई चली। इस दौरान सुल्तान व आसमा की तरफ से पैरवी कर रहे सुल्तानपुर के अधिवक्ता *’शेख’ नजर अहमद व उनके सहयोगी अधिवक्ता जेबी सिंह* ने अपने तर्को को प्रस्तुत करते हुए आरोपी बने मां-बेटे को बेकसूर बताया और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए झूठा केस दर्ज कराने की बात कहकर दोनों को जमानत पर रिहा करने का आदेश देने की मांग की। वहीं अभियोजन पक्ष ने आरोपी मां- बेटे को गंभीर अपराध का आरोपी बताते हुए जमानत खारिज करने की मांग की। विशेष न्यायाधीश हरेंद्र बहादुर सिंह ने उभय पक्षो को सुनने के पश्चात आरोपी मां- बेटे की जमानत के लिए पर्याप्त आधार पाते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।
दूसरा मामला कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के ओदरा गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले फरीद अहमद उर्फ मुन्नू समेत अन्य के खिलाफ अभियोगी ने हत्या के प्रयास समेत अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। इस मामले में अभियुक्त दर्शाए गए फरीद अहमद के पक्ष से भी अगले पक्ष के खिलाफ हत्या के प्रयास सहित अन्य धाराओं में क्रास मुकदमा दर्ज है। मामले में हत्या के प्रयास के आरोपी फरीद अहमद की तरफ से प्रस्तुत जमानत अर्जी पर प्रभारी सत्र न्यायाधीश की अदालत में सुनवाई चली। वहीं तीसरे मामले में लंभुआ थाना क्षेत्र में तैनात लेखपाल दीपिका बरनवाल के जरिए खातेदार विनोद तिवारी से खसरे की नकल के एवज में लिए जा रहे वैधानिक शुल्क की वीडियो बनाकर उन पर वसूली का आरोप लगाकर वीडियो के सहारे ब्लैकमेल कर धन उगाही करने व उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के मामले में आरोपी मनोज गुप्ता निवासी धरियामऊ की तरफ से एफटीसी प्रथम की अदालत में सुनवाई चली।
दोनों ही मामलों में आरोपी फरीद अहमद एवं मनोज गुप्ता की तरफ से पैरवी कर रहे बचाव पक्ष के *अधिवक्ता रणजीत सिंह- त्रिसुंडी* ने अपने तर्कों को प्रस्तुत करते हुए अभियोजन की कहानी पर सवाल उठाया और आरोपों को निराधार बताते हुए आरोपियों की जमानत अर्जी स्वीकार करने की मांग की। वहीं अभियोजन पक्ष ने अपराध को गंभीर बताते हुए दोनों आरोपियों की जमानत खारिज करने की मांग की। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात प्रभारी सत्र न्यायाधीश आशारानी सिंह एवं एफटीसी प्रथम पीके जयंत की अदालत ने बचाव पक्ष के तर्को से सहमत होते हुए दोनों आरोपियो की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है।