आखिर विद्यालयो की आड़ में कब तक चलेगा उगाही का खेल,अब नेशनल एजुकेशन इंस्टीट्यूट चर्चा में
सांसद निधि से आये 2.70 लाख रुपये हड़प लेने का भी है आरोप
डीएम ने निधि की रकम वसूली व विद्यालय का पंजीयन निरस्त करने का दिया था आदेश
बगैर मानक को पूरा किये ही कागजी खेल कर चल रहे जिले के कई विद्यालय,जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
सुलतानपुर। बच्चों की शिक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त बनाने की आड़ में सांसद व विधायक निधि का दुरूपयोग करने एवं मानक के विपरीत चल रहे एक और विद्यालय का मामला सामने आया है। जिसमें जिले की पूर्व डीएम के जरिए वसूली आदेश भी जारी किया जा चुका है और विद्यालय के रजिस्ट्रेशन को भी निरस्त करने का आदेश भी जारी हो गया, लेकिन यह विद्यालय आज भी बच्चों का भविष्य बनाने के नाम पर गलत तरीके से चलाया जा रहा है। हालांकि अवैध तरीक़े से चल रहे ऐसे विद्यालयो की लिस्ट लम्बी है,जिसके मुद्दे को जिम्मेदार अफसर दबाये हुए है। अधिवक्ता ने इस प्रकरण की शिकायत माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव एवं अन्य से कर कार्यवाही की मांग की है।
मामला तहसील सदर क्षेत्र अन्तर्गत स्थित सरैया पूरे विसेन गांव से जुड़ा है। जहां पर स्थित नेशनल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के प्रबंधक मो. आरिफ व उनके साथ इस खेल में संलिप्त अन्य के खिलाफ जिला न्यायालय के अधिवक्ता अब्बास अहमद खान ने उच्चाधिकारियों से शिकायत कर गम्भीर आरोप लगाये है। शिकायतकर्ता के मुताबिक शासन व प्रशासन को गुमराह कर अवैध तरीके से इस विद्यालय को कक्षा एक से इंटरमीडिएट तक संचालित किया जा रहा है, बताया जा रहा है कि यह विद्यालय पूर्ण रूप से मानक व अन्य नियमों के विपरीत है। यहां तक कि इस विद्यालय में प्रयोगशाला, खेल मैदान, लाईब्रेरी आदि आवश्यक चीजे भी नहीं हैं, कमरों की संख्या भी मानक के अनुसार कम बताई जा रही है एवं जिस भूमि में विद्यालय का संचालन हो रहा है उसका क्षेत्रफल भी मानक से काफी कम है। यही नहीं इस विद्यालय की व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने की आड़ में प्रबंधक के जरिए निर्माण के नाम पर 2 लाख 70 हजार रूपए सांसद निधि से गलत तरीके से पाने का आरोप है। इस प्रकरण की शिकायत भी हुई थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए तत्कालीन डीएम ने सांसद निधि की रकम को प्रबंधक से वसूलने का आदेश भी जारी किया था। यहां तक कि करीब 10 साल पहले ही तत्कालीन डीएम के जरिए विद्यालय के पंजीयन को निरस्त किये जाने का आदेश दिया जा चुका है। इसके बावजूद आखिर कैसे कई वर्षाें से यह विद्यालय अवैध तरीके से चल रहा है यह बड़ा सवाल है। इस विद्यालय से जुड़ा एक मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन होना बताया जा रहा है,जिसमे सरकार ही पक्षकार है,लेकिन सरकार पक्ष से पार्टी बने जिले के जिम्मेदार अधिकारी जान बूझकर मामले की हाईकोर्ट में पैरवी ही नही कर रहे है, जिसके पीछे गलत तरीके से विद्यालय संचालित करा रहे प्रबन्धक को लाभ पहुंचाने की मंशा साफ झलक रही है,नतीजतन जिम्मेदारो की इस लापरवाही से मानक के विपरीत कागजो पर मेन-टेन होकर चल रहे विद्यालयों की बाढ़ आती जा रही है। इसके पूर्व में भी अवैध तरीके से जिले में महज कागजो पर मेन-टेन होकर चल रहे कई विद्यालयों से जुड़े मामले सामने आ चुके है और उनकी आड़ में सेटिंग-गेटिंग कर सांसद -विधायक निधि भी हड़पने के मामले सामने आ चुके है,लेकिन जिम्मेदार अफसर इन मामलों में कार्यवाही के बजाय उनके मुद्दों को लटकाये हुए है,सूत्रों की मानें तो इस मुद्दे पर शासन स्तर पर शिकायत हुई है,जिसमे जल्द ही बिचौलिया बने कुछ अफसरो को कार्यवाही की जद में आने की सम्भावना जताई जा रही है और पहुँच के दम पर अपने मामलो को दबाये रखने वाले विद्यालय प्रबन्धको की भी ‘वाट’ लगने वाली है,फिलहाल जब तक यह सब कार्यवाही से बचे है तब तक शायद उनकी नजर में उनसे बुद्धिमान कोई नही है,ऐसे लोगो का क्या होगा,वह परिणाम सामने आना अभी शेष है। शिकायतकर्ता अधिवक्ता ने अन्य कई गम्भीर आरोप लगाते हुए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे प्रबंधक के खिलाफ कार्यवाही एवं अवैध ढंग से संचालित हो रहे विद्यालय पर कार्यवाही की मांग की है।