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सुल्तानपुर

बहुचर्चित ‘शिवांश पाठक’ मौत कांड में कूरेभार पुलिस की भूमिका सवालों में,हत्या की तहरीर मिलने पर भी नहीं दर्ज किया मुकदमा,आये विवादों में। संदिग्ध मौत की वजह से बिसरा की जांच पेंडिंग होने की बात कोर्ट में कहने व परिजनों के जरिये लगातार आवाज उठाने के बावजूद संज्ञेय अपराध से जुड़े मामले में पुलिस कर रही टाल-मटोल,नियमो का उड़ाया माखौल। कानून के मुताबिक घटना दूसरे क्षेत्र से भी जुड़े होने के बावजूद सूचना मिलने पर ‘निल’ पर पुलिस दर्ज कर सकती थी एफआईआर,पर नियमों को किया गया दरकिनार। ढाई हफ्ते से फ्रीजर में रखी है शिवांश की लाश,परिजनों को है री-पोस्टमार्टम व मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की आश। पुलिस में सुनवाई न होने पर परिजनों ने ली है कोर्ट की शरण,सीजेएम कोर्ट में बहस सुनने के पश्चात आर्डर सुरक्षित,कल कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद

*बहुचर्चित ‘शिवांश पाठक’ मौत कांड में कूरेभार पुलिस की भूमिका सवालों में,हत्या की तहरीर मिलने पर भी नहीं दर्ज किया मुकदमा,आये विवादों में*

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*संदिग्ध मौत की वजह से बिसरा की जांच पेंडिंग होने की बात कोर्ट में कहने व परिजनों के जरिये लगातार आवाज उठाने के बावजूद संज्ञेय अपराध से जुड़े मामले में पुलिस कर रही टाल-मटोल,नियमो का उड़ाया माखौल*

*कानून के मुताबिक घटना दूसरे क्षेत्र से भी जुड़े होने के बावजूद सूचना मिलने पर ‘निल’ पर पुलिस दर्ज कर सकती थी एफआईआर,पर नियमों को किया गया दरकिनार*

*ढाई हफ्ते से फ्रीजर में रखी है शिवांश की लाश,परिजनों को है री-पोस्टमार्टम व मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की आश*

*पुलिस में सुनवाई न होने पर परिजनों ने ली है कोर्ट की शरण,सीजेएम कोर्ट में बहस सुनने के पश्चात आर्डर सुरक्षित,कल कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुल्तानपुर। ‘शिवांश पाठक’ मौत-कांड में दिल्ली पुलिस व पोस्टमार्टम टीम की रिपोर्ट पर परिजनो ने सवाल उठाते हुए एफआईआर दर्ज करने व री-पोस्टमार्टम की मांग को लेकर गम्भीर आरोप लगाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। संज्ञेय अपराध से जुड़े इस मामले में विशेष पत्रवाहक के जरिये दिल्ली से रिपोर्ट मंगाने के बाद कूरेभार पुलिस खुद बिसरा जांच पेडिंग होने समेत अन्य बातो को कहने के बावजूद दिल्ली पुलिस के ही ढर्रे पर चलकर कार्यवाही से परहेज रखे हुए है। फिलहाल इस मामले में सीजेएम कोर्ट ने पीड़ित परिवार की अर्जी पर सुनवाई कर आदेश सुरक्षित कर लिया है,जिसे शीघ्र ही सामने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है।
मामला कूरेभार थानाक्षेत्र के पूरे सूबेदार पाठक गांव से जुड़ा है। आरोप के मुताबिक शिवप्रसाद पाठक का बेटा शिवांश पाठक दिल्ली में अपने सहयोगी वरुण वर्मा के साथ एक्सीगो इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का संचालन कराता था। बताया जा रहा है कि इसी कंपनी में काम कर रही गुरमीत कौर नाम की लड़की से शिवांश की दोस्ती हो गई। कुछ समय बाद दोनो की दोस्ती प्रेम में बदल गई और दोनो ने समय के साथ-साथ एक दूसरे के संग जिंदगी बिताने का भी फैसला कर लिया और वर्ष 2013 में दोनों ने विवाह कर लिया। मिली जानकारी के मुताबिक उनकी एक वर्ष की बेटी भी है। सामने आ रही बातों के मुताबिक शिवांश की पत्नी गुरमीत शिवांश से ज्यादा उसकी प्रॉपर्टी से प्यार करने लगी थी और अपने सहयोगी वरुण वर्मा की मदद से पूरी प्रॉपर्टी हड़पने की जुगाड़ में जुट गई। काफी प्रॉपर्टी अपने नाम करा लेने की बात सामने आ रही है। नतीजा यह रहा कि इसी बीच बीते एक अगस्त को संदिग्ध परिस्थितियों में शिवांश की मौत हो गई। अचानक मौत की सूचना पर पहुँचे परिजनो ने उसकी पत्नी व सहायक वरुण पर हत्या की आशंका जताते हुए केस दर्ज करने के लिए दिल्ली स्थित बेगमपुर थाने की पुलिस को तहरीर दी। आरोप के मुताबिक आरोपियों के प्रभाव में दिल्ली पुलिस ने मामले को रफा-दफा करने की नीयत से शिवांश की मौत को बिना किसी ठोस आधार के ही सामान्य बताते हुए मुकदमा ही नही दर्ज किया बल्कि किरकिरी से बचने के लिए बड़ी जद्दोजहद के बाद किसी तरह से मात्र शव का पोस्टमार्टम करा दिया,जिसमे पीएम करने वाली टीम की रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े हो गये है। मृत्यु के बाद सामने आई तस्वीरों में दिख रही चोंटो से भी वहाँ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेल नही खा रही है,जिससे री-पोस्टमार्टम की मांग उठना स्वाभाविक हो गया है। लगातार शिकायतो के बावजूद दिल्ली की बेगमपुरा पुलिस से न्याय न मिलता देख शिवांश का शव लेकर परिजन सुलतानपुर जिला स्थित अपने पैतृक गांव पहुंच गए और री-पोस्टमार्टम व केस दर्ज कर कार्यवाही की उम्मीद में शव को डीप फ्रीजर में रख दिया है और ढाई हफ्ते से थाने से लेकर जिला प्रशासन के चक्कर काट रहे है। री-पोस्टमार्टम व अन्य कार्यवाही की मांग को लेकर डीएम और एसपी से भी गुहार लगाई,पर कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां के भी जिम्मेदार अधिकारियों ने मामला दिल्ली से जोड़ते हुए व बिसरा की जांच पेडिंग होने की बात कहते हुए कार्यवाही से पल्ला झाड़ लिया। लिहाजा परिजनो ने न्याय की उम्मीद लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मिली जानकारी के मुताबिक मृतक शिवांश के परिजनों की अर्जी पर सीजेएम कोर्ट ने थानाध्यक्ष कूरेभार से आख्या भी तलब की थी, जिसमें उन्होंने मामला दिल्ली के बेगमपुरा थाने से जुड़ा होने की बात दर्शाते हुए विशेष पत्रवाहक से रिपोर्ट मंगाने की बात कहकर कोर्ट से तीन दिन का समय भी मांगा था, जिस पर कोर्ट ने उन्हें तीन दिन का समय भी दिया था। फिलहाल इस बीच संबंधित प्रपत्र भी विशेष पत्रवाहक माध्यम से कूरेभार पुलिस के पास आ गए, जिसके बाद उन्होंने सीजेएम कोर्ट को दी गई रिपोर्ट में बिसरा की जांच पेंडिंग होने की बात स्वयं स्वीकार की है और इधर परिजनों के जरिए लगातार हत्या का आरोप लगाते हुए री-पोस्टमार्टम एवं मुकदमा दर्ज कर आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है,पर बिना किसी ठोस आधार के ही पुलिस पहले ही मामले में कार्रवाई से पल्ला झाड़ रही है,जिसकी वजह से कार्रवाई तो दूर इतने गंभीर अपराध में सूचना के बावजूद निल पर अब भी एफआईआर तक नहीं दर्ज हो सकी है, जबकि कानून के जानकारों की माने तो संज्ञेय अपराध में सूचना मिलने पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है,उसे किसी भी दशा में टाला नहीं जा सकता,घटना का क्षेत्र अलग होने की दशा में निल पर एफआईआर दर्ज करने का नियम है, जिसे बाद में उसकी जांच संबंधित थाने के पास ट्रांसफर किया जा सकता है, बावजूद इसके पुलिस ने इतने गंभीर प्रकरण में ऐसा क्यों नहीं किया,यह पुलिस ही बता सकती है। फिलहाल इस मामले में सीजेएम कोर्ट ने पीड़ित पक्ष की अर्जी पर सुनवाई कर आदेश को सुरक्षित कर लिया है,जिसे शीघ्र ही सामने आने की उम्मीद जताई जा रही है।

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