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सुल्तानपुर

*करोड़ो की बेशकीमती जमीन के पट्टा आवंटन को जिलाधिकारी ने माना अवैध,किया निरस्त,बैठी जांच* *तत्कालीन लेखपाल व प्रधान की सम्पत्तियों की होगी जांच,बढ़ी उनकी मुश्किलें,जिम्मेदार बड़े अफसरो पर दिखा रहम* *बल्दीराय के बिही निदूरा में हुआ था करोड़ो की जमीन का पट्टा घोटाला,हाईकोर्ट के डायरेक्शन पर डीएम ने सुनवाई में लाई तेजी,आया फैसला* *याची बलवीर यादव ने सुनवाई न होने पर ली थी हाईकोर्ट की शरण,एसडीएम समेत अन्य को बनाया था पक्षकार,तीन माह में केस निपटाने का हुआ था निर्देश* *बल्दीराय ब्लॉक,विद्युत ऑफिस समेत अन्य सरकारी भवनों से सटी करोड़ो की बेशकीमती जमीन का पट्टा कर लाखो का खेल करने के आरोप से जुड़ा है मामला*

*करोड़ो की बेशकीमती जमीन के पट्टा आवंटन को जिलाधिकारी ने माना अवैध,किया निरस्त,बैठी जांच*

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*तत्कालीन लेखपाल व प्रधान की सम्पत्तियों की होगी जांच,बढ़ी उनकी मुश्किलें,जिम्मेदार बड़े अफसरो पर दिखा रहम*

*बल्दीराय के बिही निदूरा में हुआ था करोड़ो की जमीन का पट्टा घोटाला,हाईकोर्ट के डायरेक्शन पर डीएम ने सुनवाई में लाई तेजी,आया फैसला*

*याची बलवीर यादव ने सुनवाई न होने पर ली थी हाईकोर्ट की शरण,एसडीएम समेत अन्य को बनाया था पक्षकार,तीन माह में केस निपटाने का हुआ था निर्देश*

*बल्दीराय ब्लॉक,विद्युत ऑफिस समेत अन्य सरकारी भवनों से सटी करोड़ो की बेशकीमती जमीन का पट्टा कर लाखो का खेल करने के आरोप से जुड़ा है मामला*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। करोड़ो की बेशकीमती जमीन का अवैध तरीके से आवासीय व कृषि पट्टा आवंटन से करने से जुड़े मामले को हाईकोर्ट के निर्देशन में जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने शीघ्र सुनवाई कर निपटा दिया है। जिलाधिकारी ने बालवीर यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए अपात्रो को हुए पट्टा आवंटन को निरस्त कर दिया है और तत्कालीन लेखपाल व प्रधान की सम्पत्तियों पर जांच बैठा दी है।
मालूम हो कि बल्दीराय तहसील क्षेत्र स्थित बीही निदूरा गांव के रहने वाले समाजसेवी बलवीर यादव व अन्य ने जिम्मेदार अफसरों एवं इस खेल में शामिल अन्य की मिलीभगत से करोड़ो की बेशकीमती जमीन के पट्टा आवंटन में हुए घाल-मेल को लेकर हुई तमाम शिकायतो के बाद भी अपेक्षित एक्शन न होने पर हाईकोर्ट की शरण ली थी । आरोप के मुताबिक तत्कालीन ग्राम प्रधान श्रीपाल,तत्कालीन लेखपाल त्रिलोकीनाथ, कानून-गो देवीप्रसाद समेत अन्य जिम्मेदारो के जरिये लम्बा खेल कर बीही निदूरा गांव स्थित ब्लाक समेत तमाम सरकारी कार्यालयों के आस-पास की बेशकीमती जमीन का कई दर्जन अपात्रों को पट्टा करा दिया गया। हैरत की बात तो यह है कि कई महीनों से ग्रामीण इसकी शिकायत करते रहे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की जांच पूरी नही हो सकी और न ही किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही ही हो सकी,बल्कि सेटिंग-गेटिंग के बल पर मनमुताबिक रिपोर्ट तैयार कर जिम्मेदार अफसरों के जरिये दोषियों को बचाया जाता रहा। पूर्व डीएम सी.इंदुमती के कार्यकाल में इस खेल को तत्कालीन एसडीएम प्रिया सिंह व अन्य अधीनस्थों के जरिये अंजाम दिया गया था, जिसके चलते डीएम सी.इंदुमती के कार्यकाल मे कार्यवाही से बिल्कुल ही परहेज रखा गया। ग्रामीणों ने नये जिलाधिकारी रवीश गुप्ता से न्याय की उम्मीद जताते हुए पुनः शिकायत की थी, जिसकी जांच मौजूदा एसडीएम बल्दीराय राजेश सिंह को मिली। यह मामला काफी चर्चा में भी आया,लेकिन इतना गम्भीर प्रकरण होने के बाद भी मामला दबा रहा,जिसके चलते जिम्मेदारो की भूमिका शुरू से ही सवालो से घिरी रही। मालूम हो कि माह जून वर्ष 2016 में बल्दीराय ब्लाक को तहसील का दर्जा मिला था। बीही निदूरा गांव में पहले से ही ब्लाक,विद्युत ऑफिस, पशु चिकित्सालय समेत अन्य कार्यालय मौजूद रहे, लिहाजा जिला प्रशासन के जरिये उसी के सामने सड़क की दूसरी तरफ स्थित हथना कला गांव में बल्दीराय तहसील बनाने के लिये जमीन चिन्हित कर दी गई थी। जिसके बाद बीही निदूरा और हथना कला गांव की जमीन बहुत ही कीमती हो गई। आरोप है कि बीही निदूरा गांव के प्रधान श्रीपाल पासी व जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से ब्लाक मुख्यालय,पशु चिकित्सालय, विद्युत विभाग कॉलोनी समेत तमाम कार्यालयों से सटी जमीनों पर कई दर्जन लोगों को मनमाने तरीके से कृषि एवं आवासीय पट्टा कर दिया गया। सामने आए तथ्यों के मुताबिक पट्टा पाने वालों में करदाता, धनाढ्य और बाहरी जिले के लोग भी शामिल है। इस बात की भनक जब स्थानीय लोगों और पात्रों को हुई तो उन्होंने इसकी शिकायत बड़े स्तर पर की। कई महीनों से गांव के लोग जिलाधिकारी समेत तमाम आला अधिकारियों से इस प्रकरण की शिकायत करते रहे, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। करीब डेढ़ साल से ग्रामीण परेशान हैं, लेकिन दबंग ग्राम प्रधान श्रीपाल पासी और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नही हुई,बल्कि उन्हें संरक्षण मिलता रहा। प्रकरण में कई शिकायतो के बाद भी कोई एक्शन न होने पर नये जिलाधिकारी रवीश गुप्ता से ग्रामीणों ने न्याय की उम्मीद जताते हुए उनसे भी शिकायत की, ताकि अपात्रों को आवंटित पट्टा निरस्त किया जा सके और इस खेल में शामिल लोगो के खिलाफ कार्यवाही हो सके। जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने भी मामले की जांच कराकर पट्टा निरस्त कराने का भरोसा दिया था,फिलहाल मामला ठंडे बस्ते में ही रहा। जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही पूर्ण कार्यशैली से निराश होकर समाजसेवी बलवीर यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी,जिसमे जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी बल्दीराय,भूमि प्रबंध समिति,लेखपाल त्रिलोकीनाथ मिश्र,प्रधान श्रीपाल समेत अन्य को पक्षकार बनाया था। बलवीर की याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने पट्टे से जुड़े मामले में नियमानुसार सुनवाई कर आदेश की प्रति प्राप्त होने से 90 दिन के भीतर केस को निपटाने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई में किसी प्रकार का स्थगन न लेने,अधिवक्ता की अनुपस्थिति में पक्षो की ही मौजूदगी में सुनवाई करने समेत अन्य कड़ी शर्ते लगाई गई थी,जिससे की वाद के निस्तारण में कोई रुकावट न पैदा हो सके। हाईकोर्ट की मंशा के अनुसार प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने याची बलवीर यादव की ओर से प्रस्तुत अर्जी की सुनवाई में तेजी लाते हुए शीघ्र ही कार्यवाहियों को अंजाम तक पहुंचाया। सुनवाई के उपरांत जिलाधिकारी ने इस मामले में अपना फैसला सुना दिया है। पट्टा आवंटन घोटाले से जुड़े मामले में हुए जिलाधिकारी के आदेश के मुताबिक नियमो को ताक पर रख हुए पट्टा आवंटन को निरस्त कर दिया गया है,आदेश में एसडीएम समेत अन्य जिम्मेदारो की रिपोर्ट को भी विश्वसनीय नहीं माना गया है। जिलाधिकारी ने निरस्तीकरण से संबंधित भूमि को पुनः ग्राम सभा के खाते में दर्ज करने का आदेश दिया है, इसके अलावा जिलाधिकारी ने संबंधित तत्कालीन लेखपाल व प्रधान की संपत्तियों के संबंध में जांच बैठा दी है। उन्होंने संबंधित एसडीएम,प्रधान व लेखपाल को पात्र आवंटियो की सूची बनाकर शीघ्र आवंटन प्रक्रिया संपादित कराने के संबंध मे आदेशित किया है और पट्टा आवंटन प्रक्रिया की पारदर्शिता बरकरार रखने के लिए सार्वजनिक स्थल पर संबंधित सूची को सात दिनों तक चस्पा करने का आदेश जारी किया है। डीएम के आदेश से पट्टा आवंटन के नाम पर करोड़ों का खेल करने वाले तत्कालीन प्रधान एवं लेखपाल की मुश्किलें बढ़ गई है । फिलहाल इस मामले में इन दोनों के अलावा अपने दायित्वों का ढंग से निर्वाहन करने के बजाय भ्रामक रिपोर्ट भेजकर मामले को एन-केन-प्रकारेण लटकाये रखने के लिए जिम्मेदार माने जा रहे कई जिम्मेदार अफसर अभी जांच के दायरे में नहीं आए है,जिसको लेकर अभी मामला फिर बढ़ने की संभावना प्रतीत हो रही है।

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