दरअसल ये मामला है सुल्तानपुर के जिला अस्पताल का।स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह यहाँ में प्रभारी मंत्री है। बावजूद इसके यहाँ के हृदय कहे जाने वाले इस सरकारी जिला अस्पताल में करीब ढाई महीनों से 66 जीवन रक्षक दवाएं समाप्त हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक को नवम्बर से पत्र लिखा जा रहा है। कई बार रिमांइडर भी भेजा गया , बावजूद इसके अभी तक दवाओं की आपूर्ति नही हो सकी है। प्रशासन से लेकर शासन तक, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक का फरमान है कि सरकारी अस्पतालों में बाहर की दवाएं नहीं लिखी जाएँगी। ढाई महीनों से सुल्तानपुर के जिला अस्पताल में दवाओं का अकाल है। ऐसे में मरीजों का इलाज या तो रामभरोसे किया जा रहा है, या फिर डॉक्टर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह महीने में एक दो बार जिले का दौरा भी करते हैं, लेकिन आज तक उन्होंने भी इसका संज्ञान लेना उचित नहीं समझा।बहरहाल दवाओं के आभाव में अमीरों का इलाज तो कही भी हो सकता है, लेकिन गरीबों के इलाज के लिये सरकार की मेहरबानी जरुरी है।