*सीजेएम के आदेश केे एक वर्ष बाद भी एफआईआर न दर्ज करने पर एसओ से जवाब-तलब*
*एक वर्ष पूर्व कोर्ट ने अभियोगी की अर्जी पर केस दर्ज कर जांच का दिया था आदेश*
*मुसाफिरखाना पुलिस के जरिए बरती जा रही लापरवाही, कोर्ट ने लिया संज्ञान,अवमानना के कार्यवाही की मिली चेतावनी*
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। सम्पत्ति हड़पने के चक्कर में प्रेमी संग मिलकर पति को मौत के घाट उतारने के मामले में मुसाफिर खाना पुलिस सीजेएम कोर्ट के आदेश के एक वर्ष बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है। अभियोगी की अर्जी पर सीजेएम हरीश कुमार ने संज्ञान लेते हुए थानाध्यक्ष की इस बड़ी लापरवाही पर अवमानना की कार्यवाही की चेतावनी देते हुए दो दिसम्बर के लिए जवाब तलब किया है।
मामला मुसाफिर खाना थाना क्षेत्र के सरैया गांव से जुड़ा है। जहां की रहने वाली तारावती पुत्री जगलाल के साथ अभियोगी श्यामदत्त निवासी धरमैतेपुर थाना धम्मौर के भाई रामदत्त की दूसरी शादी हुई थी। आरोप के मुताबिक तारावती का उसके गांव के ही सुरेश कुमार से नाजायज सम्बंध है, जिसको लेकर आए दिन रामदत्त व उसकी दूसरी पत्नी तारावती के बीच विवाद होता रहा। अभियोगी के मुताबिक तारावती व उसके प्रेमी सुरेश कुमार ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रामदत्त से धन उगाही करने और उसकी सम्पत्ति हड़प लेने के चक्कर में उसे षड्यंत्र रचकर मौत के घाट उतार दिया और साक्ष्यों को भी छिपाने का प्रयास किया। इस मामले में मुसाफिरखाना पुलिस ने मुल्जिमो के प्रभाव में सूचना के बाद भी मुकदमा नहीं दर्ज किया। नतीजतन श्यामदत्त ने कोर्ट की शरण ली। न्यायाधीश हरीश कुमार ने अभियोगी के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह के तर्काें को सुनने के पश्चात मामले में संज्ञान लेते हुए चार अक्टूबर 2019 को मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश के लिए आदेशित किया था। बावजूद इसके मुसाफिर खाना पुलिस करीब एक वर्ष बीतने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा नहीं दर्ज की है। पुलिस की इस लापरवाही के सम्बंध में अभियोगी ने अपने अधिवक्ता विजय कुमार सिंह के माध्यम से कोर्ट में अर्जी देकर कार्यवाही की मांग की। सीजेएम हरीश कुमार ने पुलिस की इस लापरवाही पर संज्ञान लेते हुए थानाध्यक्ष को दायित्वों के प्रति उदासीन मानते हुए अवमानना के कार्यवाही की चेतावनी देते हुए नियत तिथि तक जवाब-तलब किया है। मामले में सुनवाई के लिए आगामी दो दिसम्बर की तारीख तय की गयी है।