*अवमानना पर कोर्ट का एसओ के खिलाफ कड़ा रुख,बड़ी कार्यवाहियों के अलावा अदालत में पेश कराने के लिए एसपी को खत*
*थानाध्यक्ष पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने वेतन काटने के साथ प्रतिकूल प्रविष्टि देने एवं आदेश का अनुपालन कराने व कोर्ट में हाजिर कराने के लिए एसपी को भेजा लेटर*
*स्टे आदेश के बावजूद खाते की भूमि पर विपक्षियों से मिलकर कब्जा कराने व कोर्ट के आदेश को बार-बार नजरअंदाज करने का मामला*
*जज सन्दीप कुमार ने लापरवाह थानाध्यक्ष के करतूत की जानकारी डीआईजी-अयोध्या को भी भेजने का दिया आदेश*
*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। कोर्ट के बार-बार आदेश के बाद भी अवमानना करने के मामले में सिविल जज -प्रवर खण्ड की अदालत ने थानाध्यक्ष कोतवाली देहात के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। न्यायाधीश सन्दीप कुमार की अदालत ने घोर लापरवाही बरतने वाले गैरजिम्मेदार एसओ का वेतन काटते हुए प्रतिकूल प्रविष्टि अंकित करने एवं कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराते हुए उसे व्यक्तिगत रूप से आगामी 21 अक्टूबर के लिए तलब कराने के सम्बंध में एसपी को पत्र भेजा है। कोर्ट ने इस आदेश की एक प्रति डीआईजी-अयोध्या को भी भेजने का आदेश दिया है।
मामला कोतवाली देहात थाना क्षेत्र स्थित परऊपुर गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले एजाज ने वर्ष 2017 में गांव के ही विपक्षी सुहेल अहमद व उसके सहयोगी मुजीब निवासी बजूपुर समेत अन्य के खिलाफ अपनी भूखण्ड संख्या -173 पर जबरन कब्जा कर लेने का आरोप लगाते सिविल जज की अदालत में मुकदमा दाखिल किया था। जिसमें अदालत ने विपक्षी सुहेल व मुजीब को विवादित भूखण्ड पर वादी व अन्य सह खातेदारों के कब्जा दखल में किसी प्रकार का हस्ताक्षेप करने एवं निर्माण करने से मना कर दिया था। वादी एजाज के मुताबिक कोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद मुख्य विपक्षी सुहेल व मुजीब आदेश का उल्लंघन करते हुए विवादित जमीन की स्थिति को परिवर्तित करने के जुआड़ में लग गये। मिली जानकारी के मुताबिक अपने इस खेल में विपक्षियों ने पुलिस को भी हमवार कर लिया। जिसका नतीजा यह रहा कि कोर्ट के स्टे आदेश के बावजूद विवादित जमीन की यथास्थिति बिगाड़ने के प्रयास मे लगे विपक्षियों की शिकायत करने पर भी पुलिस कार्यवाही से परहेज कर उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण देती रही। स्थानीय पुलिस की इस कार्यशैली से निराश होकर एजाज ने सम्बन्धित कोर्ट में अर्जी देकर स्टे आर्डर का अनुपालन कराने का आदेश जारी करने की मांग की। जिस पर सिविल जज सन्दीप कुमार ने संज्ञान लेते हुए थानाध्यक्ष कोतवाली देहात को पत्र भेजकर अनुपालन कराने का आदेश दिया। लेकिन विपक्षियों की पैरवी के आगे कोर्ट के इस आदेश को दरकिनार करते हुए एसओ ने स्टे आर्डर का अनुपालन नही कराया। जिसके सम्बंध में कोर्ट में अर्जी देकर वादी एजाज ने फिर कार्यवाही की मांग की। कोर्ट ने जिस पर फिर अनुपालन कराने का आदेश एसओ को जारी किया,लेकिन उन्होंने आदेश का अनुपालन कराना जरूरी नही समझा। पुलिस की इस कार्यशैली की शिकायत फिर वादी ने कोर्ट में किया। जिस पर अदालत ने आदेश के बाद भी अनुपालन न कराने के सम्बंध में व्यक्तिगत रूप से तलब होने का आदेश देते हुए एसओ से स्पष्टीकरण मांगा। कोर्ट का यह आदेश थाने के पैरोकार के माध्यम से एसओ के पास भी पहुँचा, लेकिन एसओ देवेंद्र सिंह इस लापरवाही के सम्बंध में स्पष्टीकरण देने कोर्ट नहीं आये और न ही कोर्ट आदेश का अनुपालन कराया। एसओ का यह हाल एक बार नही बल्कि कोर्ट के बार-बार आदेशों के बाद भी रहा। जिसका नतीजा रहा कि कोर्ट आदेश के बावजूद एसओ 15 अक्टूबर को भी नियत तिथि पर अदालत में हाजिर नही हुए। थानाध्यक्ष की इस घोर लापरवाही पर संज्ञान लेते हुए जज सन्दीप कुमार ने गैरजिम्मेदार एसओ का एक दिन का वेतन काटते हुए प्रतिकूल प्रविष्टि अंकित करने एवं कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराते हुए उसे व्यक्तिगत रूप से आगामी 21 अक्टूबर के लिए तलब कराने के सम्बंध में पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजा है। कोर्ट ने इस आदेश की एक प्रति उपमहानिरीक्षक-अयोध्या को भी भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस आदेश से थानाध्यक्ष कोतवाली देहात की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।