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विवाहिता को जलाकर मौत के घाट उतारने का आरोपी पति दोषी करार,कोर्ट ने सास-ससुर को साक्ष्य के आभाव में किया बरी

*विवाहिता को जलाकर मौत के घाट उतारने का आरोपी पति दोषी करार,कोर्ट ने सास-ससुर को साक्ष्य के आभाव में किया बरी*

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*दहेज हत्या के दोषी पति सुरेंद्र उर्फ त्रिभुवन को एडीजे चतुर्थ राजेश नारायण मणि त्रिपाठी की अदालत 27 जून को सुनायेगी सजा*

*गैंगस्टर कोर्ट ने आरोपी राम सजीवन को ठहराया दोषी,सुनाया तीन वर्ष व आठ माह के कारावास का दण्ड*

*अमेठी जिले के रहने वाले राम सजीवन समेत अन्य के खिलाफ तत्कालीन थानाध्यक्ष मुसाफिरखाना ने 19 साल पहले दर्ज कराया था गैंगस्टर का मुकदमा*

*स्पेशल जज गैंगस्टर एक्ट त्रिभुवन नाथ पासवान की अदालत ने दोषी रामसजीवन को सुनाई सजा,ठोंका 20 हजार का जुर्माना*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। विवाहिता को जलाकर मौत के घाट उतारने के मामले में एडीजे चतुर्थ राजेश नारायण मणि त्रिपाठी की अदालत ने आरोपी पति को दोषी करार दिया है,वहीं अदालत ने साक्ष्य के अभाव में दहेज हत्यारोपी सास-ससुर को बरी कर दिया है।अदालत ने दोषी सुरेंद्र उर्फ त्रिभुवन की सजा के बिंदु पर फैसला सुनाने के लिए 27 जून की तारीख तय की है। वहीं गैंगस्टर केस में स्पेशल जज त्रिभुवन नाथ पासवान की अदालत ने आरोपी रामसजीवन को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष आठ माह के कारावास एवं 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
पहला मामला कूरेभार थाना क्षेत्र के उपाध्याय का पुरवा-खारा गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले पति सुरेंद्र कुमार उर्फ त्रिभुवन,सास-शांति देवी व ससुर-फागूलाल के खिलाफ कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के ओदरा निवासी अभियोगी राजेन्द्र कुमार ने करीब सात वर्ष पूर्व शादी के छह माह के भीतर ही दहेज की मांग न पूरी होने के चलते अपनी पुत्री रीता को जलाकर मौत के घाट उतारने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। मामले के विचारण के दौरान शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर शुक्ला ने अपने साक्ष्यों एवं तर्कों को पेश कर अभियोजन के आरोपों को साबित करने का पूरा प्रयास किया। वहीं बचाव पक्ष ने आरोपियों को बेकसूर बताया। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ राजेश नारायण मणि त्रिपाठी की अदालत ने पति सुरेंद्र उर्फ त्रिभुवन को दोषी करार देते हुए जेल भेजने का आदेश दिया,जबकि आरोपी सास व ससुर को साक्ष्य के आभाव में बरी कर दिया है। अदालत ने दहेज हत्या के दोषी पति की सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 27 जून की तारीख तय की है।
दूसरा मामला मुसाफिरखाना थाना क्षेत्र से जुड़ा है। जहां के तत्कालीन थानाध्यक्ष ने वर्ष 2003 में आरोपी राम सजीवन निवासी कादीपुर थाना मुसाफिरखाना समेत अन्य लोगों के विरुद्ध आपराधिक कृत्यों की हनक के दम पर समाज में दहशत व्याप्त कर अनुचित लाभ अर्जित करने समेत अन्य आरोप लगाते हुए गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले का विचारण स्पेशल जज गैंगस्टर एक्ट की अदालत में चला। विचारण के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अपने साक्ष्यों एवं तर्को को प्रस्तुत कर आरोपी को बेकसूर बताया। वहीं विशेष लोक अभियोजक अल्का सिंह ने अपने साक्ष्यों व तर्को को प्रस्तुत कर आरोपी को दोषी ठहराते हुए कड़ी से कड़ी सजा से दंडित किए जाने की मांग की। विशेष न्यायाधीश ने आरोपी राम सजीवन को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष आठ माह के कारावास एवं 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

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