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सुल्तानपुर

देखिये क्यों जिपं अध्यक्ष व उनके पति समेत अन्य को सरेंडर कर घण्टो बिताने पड़े थे कोर्ट कस्टडी में,पर पूर्व डीडीसी प्रत्याशी समेत दो को बगैर सरेंडर किये मिली अंतरिम जमानत।

*जिपं अध्यक्ष व उनके पति समेत अन्य को सरेंडर कर घण्टो बिताने पड़े थे कोर्ट कस्टडी में,पर पूर्व डीडीसी प्रत्याशी समेत दो को बगैर सरेंडर किये मिली अंतरिम जमानत*

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*हाईकोर्ट के निर्देशन में पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी रमाकांत मिश्र व सह आरोपी राजेन्द्र प्रसाद मिश्र की तरफ से प्रस्तुत जमानत अर्जी पर एमपी-एमएलए कोर्ट में हुई सुनवाई,जज पीके जयंत की कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत*

*अधिवक्ता संतोष कुमार पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्था का हवाला देते हुए बगैर सरेंडर कराये पेश की नियमित जमानत अर्जी,कोर्ट ने अर्जी की स्वीकार,अगली पेशी पर कोर्ट ने दोनो आरोपियों को सरेंडर करने का दिया है आदेश*

*हमले व एससी-एसटी एक्ट से जुड़े इसी केस में अभी हाल में ही जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह समेत अन्य को सरेंडर करने व घण्टो कोर्ट कस्टडी में खड़े रहने के बाद मिल सकी थी जमानत,पर इन दो आरोपियों ने लिया जारी व्यवस्था का लाभ*

*सुप्रीम कोर्ट की इस विधि व्यवस्था से अब सात साल तक के अपराधों से जुड़े मामलों में आरोपियों को मिलेगा लाभ,काफी हद तक न्यायिक प्रक्रिया में मिलेगी सहूलियत*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। हमले एवं एससी-एसटी एक्ट समेत अन्य आरोपो से जुड़े मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष व उनके पति के साथ चार्जशीटेड पूर्व डीडीसी प्रत्याशी सहित दो आरोपियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्था का हवाला देते हुए कोर्ट में बगैर सरेंडर किए नियमित जमानत अर्जी प्रस्तुत की गई। जिस पर सुनवाई के पश्चात स्पेशल जज एमपी-एमएलए पीके जयंत ने दोनों आरोपियों की अंतरिम जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है। फिलहाल अदालत ने अगली तारीख पर दोनो आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से आत्मसमर्पण करने का आदेश देते हुए नियमित जमानत पर सुनवाई के लिए 12 नवम्बर की तिथि तय की है। हालांकि बगैर सरेंडर किये आरोपियों को नियमित जमानत मिली,यह बात चर्चा में रही।
मामला धनपतगंज ब्लॉक मुख्यालय से जुड़ा है। जहां पर पांच फरवरी 2016 को प्रमुख पद के नामांकन के दौरान हुई घटना के सम्बंध में पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह सोनू के भाई यशभद्र सिंह मोनू की अर्जी पर मुकदमा दर्ज हुआ। आरोप के मुताबिक वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह उनके पति शिवकुमार सिंह सहआरोपी राजेन्द्र मिश्रा, दद्दन दूबे, रमाकांत मिश्रा, कमलादेवी, सिराज अहमद, भूपेन्द्र प्रताप सिंह एवं कई अज्ञात आरोपियों ने यशभद्र सिंह मोनू की समर्थित प्रत्याशी जानकी देवी को धमकी दी एवं जातिसूचक अपशब्द भी कहा। यहां तक कि आरोपियों के खिलाफ जानकी को खींचकर जबरदस्ती अपहरण के उद्देश्य से गाड़ी में बैठाने एवं विरोध करने पर जान से मार देने की नीयत से फायरिंग करने का भी आरोप है। इस घटना के सम्बंध में पुलिस ने यशभद्र सिंह मोनू की तहरीर पर मुकदमा नहीं दर्ज किया था, जिसके पश्चात उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी थी,तब जाकर उनका मुकदमा दर्ज हो पाया था। कोर्ट के आदेश पर सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ एवं पुलिस ने तफ्तीश पूरी कर आरोप पत्र भी दाखिल किया। मामले में काफी समय से कार्यवाही लटकी रही। फिलहाल अब मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर हो गया है,तब से कार्यवाही में तेजी आ गई है। मामले में आरोपी सिराज अहमद की जमानत पहले ही हो चुकी थी,शेष गैरहाजिर चल रहे आरोपियों के खिलाफ कुछ दिन पहले एमपी-एमएलए कोर्ट के आदेश पर गैरजमानतीय वारंट भी जारी हुआ। जिसके बाद हरकत में आरोपियों ने बचाव के लिए हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट के निर्देशन में जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह,उनके पति शिवकुमार सिंह,सह आरोपी दद्दन दूबे,कमला देवी ने कोर्ट में सरेंडर कर नियमित जमानत अर्जी प्रस्तुत की थी,जिनकी जमानत स्वीकृत हो चुकी है,वहीं इसी मामले में सरेंडर करने के बाद जमानत पर रिहा सह आरोपी भूपेंद्र प्रताप सिंह अभी अंतरिम जमानत पर चल रहे है। इन सभी आरोपियों के जरिये कोर्ट में सरेंडर करने के बाद ही इनकी नियमित जमानत अर्जी सुनी गई थी,जिन्हें कई घण्टो कोर्ट कस्टडी में गुजारने पड़े थे। इसी मामले में सोमवार को मोनू सिंह की बहन अर्चना सिंह के खिलाफ जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ चुके आरोपी रामाकांत मिश्रा निवासी मायंग व राजेन्द्र प्रसाद मिश्र निवासी मझौवा ने हाईकोर्ट के निर्देशन में जमानत अर्जी एमपी-एमएलए कोर्ट में प्रस्तुत की। हालांकि इस दौरान उनके अधिवक्ता संतोष कुमार पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्था का हवाला देते हुए सात साल तक की सजा से जुड़े अपराध में बगैर मुल्जिम को सरेंडर कराये प्रस्तुत जमानत अर्जी स्वीकार करने की मांग की। जिसके दृष्टिगत स्पेशल जज पीके जयंत ने बचाव की तरफ से प्रस्तुत अंतरिम जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया है। फिलहाल अदालत ने अगली पेशी पर दोनो आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से आत्म समर्पण करने का आदेश दिया है। मामले में नियमित जमानत पर फाइनल सुनवाई के लिए 12 नवम्बर की तारीख तय की है। सुप्रीम कोर्ट की नई विधि व्यवस्था के मुताबिक बगैर सरेंडर कराये नियमित जमानत कराने का जिले में यह पहला मामला सामने आया है। बताते चले कि इसके पूर्व माह जून वर्ष 2019 में भी अधिवक्ता संतोष कुमार पांडेय के जरिये ही दुबारा लागू हुई अग्रिम जमानत की व्यवस्था के अंतर्गत अर्जी प्रस्तुत कर अपने मुवक्किल को लाभ दिलाया गया था,इस बार भी उन्हीं के जरिये लागू नई व्यवस्था का लाभ अपने मुवक्किल को दिलाने का पहला मामला सामने आया है। माना जा रहा है कि इस नई व्यवस्था के चलन में आने से काफी हद तक लोगो को राहत मिलेगी और न्यायिक कार्य मे भी अधिवक्ताओं को काफी सहूलियत मिलेगी।

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